जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी लोगों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि प्रदेश में सियासी बयानबाजी शांत हो गई है।

 

 

 

 

प्रदेश की गहलोत सरकार जल्द ही मंत्रिमंडल फेरबदल कर सकती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी लोगों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि प्रदेश में सियासी बयानबाजी शांत हो गई है। अब गहलोत किसी भी वक्त मंत्रिमंडल फेरबदल का ऐलान कर सकते हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि इसके लिए गहलोत की दिल्ली में आलाकमान से बातचीत भी हो चुकी है। आलाकमान ने फेरबदल या विस्तार का फैसला पूरी तरह गहलोत पर छोड़ दिया है।

 

 

 

 

सूत्रों का कहना है कि सितंबर में विधानसभा सत्र शुरू होने पहले सरकार अपने मंत्रिमंडल का चेहरा बदलेगी। फिलहाल मंत्रिमंडल में 9 लोगों के लिए वैकेंसी है। कांग्रेस के कुल 106 विधायक हैं। इसमें से 19 मंत्री हैं। एक मंत्री सहयोगी आरएलडी से है। इन शेष बचे विधायकों में से 45 ऐसे हैं जो पहली बार निर्वाचित होकर आए हैं। इनके मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना नहीं है। 2 बार निर्वाचित हुए 27 विधायकों में से 11 फिलहाल सरकार में मंत्री हैं। इनके अलावा महेश जोशी मुख्य सचेतक तथा महेंद्र चौधरी उपमुख्य सचेतक हैं।

 

 

 

 

90 दिन से हेमाराम का इस्तीफा मंजूर क्यों नहीं : राठाैड़

 

 

 

 

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी के सदन के सदस्यता से त्याग पत्र के मामले में आगामी विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले इस मामले में निर्णय लिए जाने की मांग की है। इस संबंध में राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव को सोमवार को पत्र लिखा। राठौड़ ने हेमाराम के इस्तीफे के बाद की बैठक नहीं बुलाई जाने से हो रहे कार्य गतिरोध का भी हवाला इस पत्र में दिया।

 

 

 

 

राठौड़ ने कहा कि राजकीय उपक्रम समिति के लगातार दूसरी बार मनोनीत अध्यक्ष हेमाराम चौधरी ने 18 मई को राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया व कार्य संचालन संबंधी नियम-173 के अंतर्गत विधानसभा अध्यक्ष को अपने दिए त्याग पत्र पर समाचार पत्रों के जरिए टिप्पणी की थी कि वह अपने इस्तीफे पर अडिग हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि जब तक उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हो जाती तब तक वे अपना इस्तीफा वापिस नहीं लेंगे और राजकीय उपक्रम समिति की मीटिंग भी नहीं बुलाएंगे।

 

 

 

 

राठौड़ ने पत्र में कहा कि 15वीं विधानसभा का सातवां सत्र 9 सितंबर से आहुत हो रहा है लेकिन हेमाराम चौधरी द्वारा भेजे गए त्याग पत्र के संबंध में आज 90 दिन बाद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है।