जयपुर।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाजपा पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाने के बाद से एक बार फिर सूबे की राजनीति गरमाई हुई है। कांग्रेस और भाजपा नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए बयानबाजी कर रहे हैं। इस बीच अब पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने सरकार को इस्तीफा देकर मध्यावधि चुनाव करवाए जाने की चुनौती दे डाली है।

देवनानी ने आज एक बयान में कहा है कि जनता के समर्थन का दावा करने वाले मुख्यमंत्री गहलोत इस्तीफ़ा देकर मध्यावधि चुनाव करवाएं तो उनकी और सरकार की असलियत सबके सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कुशासन और भ्रष्टाचार में डूबी सरकार से जनता आकंठ तक भरी हुई है।

‘प्रलोभन-झूठे आश्वासनों से ही टिकी है सरकार’
मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार पर ‘हल्लाबोल’ करते हुए देवनानी ने आरोप कगाया कि गहलोत सरकार पहले दिन से ही अस्थिर है। प्रलोभन, झूठे आश्वासनों और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आधार पर ही टिकी हुई है। पार्टी के आन्तरिक कलह पर नियंत्रण न कर पाने के कारण कांग्रेस सिर्फ भाजपा पर झूठे आरोप गढ़ती रहती है।

‘सरकार का अंत तय है’
भाजपा के वरिष्ठ नेता देवनानी ने ये भी कहा है कि सरकार की ओर से बाड़ेबन्दी और क़िलेबन्दी में कांग्रेस के विधायकों एव समर्थकों को दिए गए आश्वासनो को 5 माह बीत गए हैं। इनके पूरे नहीं होने के कहते कांग्रेस में अंदरूनी आक्रोश और बोखलाहट बढ़ने लगी है। सत्ता बचाने के लिये भाजपा पर बेबुनियाद आरोप गढ़ रही है। यह सरकार अपनो के आक्रोश से संकट में है और इसका अन्त तय है।

‘भाजपा ने नहीं लिया सरकार गिराने का ठेका’
देवनानी ने कहा कि भाजपा ने प्रदेश की गहलोत सरकार बचाने का ठेका नहीं लिया है। सरकार अपने आंतरिक कलह से पार्टी व सहयोगियों में बढ़ते असन्तोष को नियंत्रण न कर पाने के कारण कभी भी गिर सकती है। सरकार अपनी नाकामी और अकर्मण्यता से ख़ुद गिरने की और अग्रसर है।

‘महंगाई के लिए कांग्रेस है ज़िम्मेदार’
वहीं पेट्रोल-डीज़ल की बढती कीमतों पर अपने बयान में देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार ने डीज़ल व पेट्रोल पर वेट को सीमावर्ती राज्यों से इतना अधिक कर रखा है जिससे तेल की क़ीमतों मे 10 से 12 रूपए तक का अंतर है। इससे राज्य में आए दिन तेल तस्करी की घटनाएं बढ़ रही है। प्रदेश में महँगाई की ज़िम्मेदार कांग्रेस अपनी नाकामी का रोना रो रही है।

देवनानी ने कहा कि प्रदेश के अधिक पेट्रोल डीज़ल के दामों से राज्य को सीमावर्ती जिलों से राजस्व घाटा भी उठाना पड़ता है साथ में अन्य राज्यों के लोगों की राज्य के प्रति महँगाई की मानसिकता बनती हैं जिससे राज्य में पर्यटन के अवसर में भी कमी आ रही है। राज्य सरकार को को इसका त्वरित समाधान करना चाहिए।

‘स्कूलों-अभिभावकों से संवाद करे सरकार’
पूर्ववर्ती सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके देवनानी ने स्कूल फीस मामले में भी सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के निजी स्कूलों की फ़ीस और प्रदेश के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम पर बनी अनिश्चयता की स्थिति सरकार शीघ्र निर्णय कर समाप्त करे। सरकार को निजी स्कूलो और अभिभावको से संवाद कर इस दिशा में स्पष्ट समाधान प्रदेश के विद्यार्थी हित में शीघ्र करना चाहिये।

‘एक अप्रैल तक स्कूल ना खोलें’
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों और अभिभावको से संवाद कर पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यालय एक अप्रेल से प्रारंभ करने पर विचार करना चाहिए। दोनों सत्र की परीक्षा अगले सत्र में दो भागो में कर सरकार विद्यार्थी हित में निर्णय करे।