बीकानेर। प्रन्यास प्रवर, गच्छाधिपति, जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरिश्वरजी अपने सहवृति मुनियांें प्रन्यास प्रवर धर्मशील विजय, मोक्षानंद विजय, पदमशील विजय, तत्वानंद विजय, ज्ञानानंद और नव दीक्षित मुनि मुक्तानंद विजय के साथ रविवार को नगर में प्रवेश किया। आचार्यश्री 13 अप्रेल को वल्लभ  सर्किल,गोगागेट की गौड़ी पाश्र्वनाथ में आॅन लाइन संक्रांति प्रवचन करेंगे।
जैनाचार्य का शनिवार को जूनागढ़ में बीकानेर पश्चिम की विधायक सुश्री सिद्धि कुमारी व सार्दुलगंज में पर्यटन, कला एवं संस्कृृति मंत्री डाॅ.बुलाकी दास कल्ला ने अगुवानी करते हुए स्वागत किया। जैनाचार्य 15 जनवरी को भी बीकानेर आएं थे, लेकिन नव दीक्षा के कारण उन्हें पंजाब का उग्र दौरा करना पड़ा। आचार्यश्री पंजाब,हरियाणा, चंडीगढ़,हिमाचल प्रदेश में विभिन्न धार्मिक व सामाजिक उत्थान के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हुए लुधियाना से विहार कर बीकानेर पहुंचे है। उन्होंने अम्बाला में 24 फरवरी 2021 करे मुनि मुक्तानंद विजय को दीक्षित कर पांच महाव्रत धारण करवाएं थे। इससे पूर्व आचार्यश्री मार्च 2018 में भी बीकानेर में संक्रांति प्रवचन कर बीकानेर के श्रावक-श्राविकाओं को आशीर्वाद देने आएं थे।
जैनाचार्य के रविवार को गौड़ी पाश्र्वनाथ पहुंचने पर श्री आत्मानंद जैन सभा के चन्द्र कुमार कोचर, लीलम सिपानी, शांति लाल कोचर, जितेन्द्र भंसाली, देवेन्द्र कोचर कोलकाता, शांति लाल सेठिया, बल्लभ कोचर घड़साना व सुमित कोचर आदि बड़ी संख्या में श्रावकों ने वंदन-अभिनंदन किया। आचार्यश्री ने मंगलपाठ सुनाते हुए प्रवचन में कहा कि करोना की भंयकर महामारी के दौरान सरकार के नियमों की पालना करें, दो गज दूरी, मास्क जरूरी के नियम की पालना करें तथा तन, मन को स्वच्छ रखें। नवंकार महामंत्र का जाप करें तथा एक दूसरे का सहायक बनें। दीन दुखियों के आंसु पूछने का कार्य करें, परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
आचार्यश्री के साथ आए मुनि मोक्षानंद विजय ने बताया कि आचार्यश्री के संक्रांति प्रवचन वल्लभ वाटिका के फेस बुक व यूट्यूब चैनल के माध्यम से सीधा प्रसारण किया जाएगा। संक्रंाति के दिन ही जैनाचार्य विजयानंद सूरिश्वरजी यानि आत्मारामजी महाराज की 185 वीं जयंती है। संक्रंाति मंगल पाठ के साथ आत्मारामजी महाराज के आदर्शों का भी स्मरण किया जाएगा। आचार्यश्री के प्रवचन अमेरिका की जैन समाज की सबसे बड़ी संस्था ’’जैनम’’ के माध्यम से पूर्व विश्व में आॅन लाइन प्रसारित किया जाएगा। भक्ति संगीत का कार्यक्रम भी आॅन लाइन ही होगा।