‘‘रंग आनंद’’ द्वितीय त्रिदिवसीय नाट्य समारोह और शुरू हुई प्रथम ‘‘रंग आनंद’’ अवार्ड की परम्परा

बीकानेर। बीकानेर के ख्यातनाम शायर रंगकर्मी स्व. आनंद वि. आचार्य की स्मृति में संकल्प नाट्य समिति, बीकानेर द्वारा चल रहे ‘‘रंग आनन्द’’ द्वितीय त्रिदिवसीय नाट्य समारोह के अपने आखरी दिन समापन समारोह में उड़ान थियेटर आर्ट सोसायटी, बीकानेर द्वारा नाटक ‘‘वो….. आखरी पड़ाव’’ का मंचन किया गया। नाटक ‘‘वो…. आखरी पड़ाव’’ का लेखन, निर्देषन व परिकल्पना बीकानेर की जानी-मानी थियेटर आर्टिस्ट, निर्देषक मंजूलता रांकावत ने किया।

‘‘रंग आनंद’’ द्वितीय त्रिदिवसीय नाट्य समारोह के समापन समारोह में प्रथम ‘‘रंग आनंद’’ अवार्ड राजस्थानी एवं हिन्दी रंगमंच से जुड़े युवा रंगकर्मी श्री आषीष देव चारण, जोधपुर को प्रदान किया गया। राजस्थानी रंगमंच की स्थापना के लिए षिद्दत से जुटे युवा रंगकर्मियों की बात आषीष देव चारण के योगदान पर चर्चा के बगैर पूरी हो नहीं सकती। पिता डाॅ. अर्जुन देव चारण से विरासत में मिली रंग परम्परा को जिम्मेदारी से बढ़ा रहे आषीष देव चारण 2004 से जोधपुर में रम्मत ग्रुप से जुड़े हैं। आप न सिर्फ सक्रिय रहते हुए नाट्य प्रस्तुतियां दे रहे हैं बल्कि बाल कलाकारों को रंग प्रषिक्षण देने का बीड़ा भी उठाया है। आपको 2015 में टाईम्स आॅफ इंडिया से बेस्ट ड्रामा टीचर का सम्मान प्राप्त हुआ है। आषिष ओलम्पिक भारत रंग महोत्सव, कोरस थियेटर फेस्टिवल, सेनेट्री बैन थियेटर फेस्टिवल, आसाम, रंग संगम, बंसत नाट्य उत्सव, मुम्बई, सेंट्रल हिंदी साहित्य अकादमी के सिल्वर जुबली उत्सव, जयपुर विरासत उत्सव, राजस्थान संगीत अकादमी के थिएटर फेस्टिवल्स, ओम षिवपुरी थिएटर फेस्टिवल, मंच रंगमंच थियेटर फेस्टिवल, अमृतसर, टी एफ टींस विंटर थिएटर, चंडीगढ़ और भी कई थिएटर फेस्टिवल्स में रंगकर्मी के रूप में सक्रिय रहे हैं। रंगमंच के ऐसे समर्पित युवा रंगकर्मी श्री आषीष देव चारण को संकल्प नाट्य समिति, बीकानेर द्वारा शाॅल ओढ़ाकर एक अभिनन्दन पत्र दिया गया साथ ही रू. 11,000/- का नगद पुरस्कार एवं प्रथम ‘‘रंग आनंद’’ अवार्ड के रूप में एक प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

‘‘रंग आनन्द’’ द्वितीय त्रिदिवसीय नाट्य समारोह के अपने आखरी दिन समापन समारोह में उड़ान थियेटर आर्ट सोसायटी, बीकानेर द्वारा नाटक ‘‘वो….. आखरी पड़ाव’’ का मंचन किया गया। नाटक ‘‘वो…. आखरी पड़ाव’’ का लेखन, निर्देषन व परिकल्पना बीकानेर की जानी-मानी थियेटर आर्टिस्ट, निर्देषिका मंजूलता रांकावत ने किया। नाटक ‘‘वो….. आखरी पड़ाव’’ में वृद्धाश्रम में वृद्ध अपना समय कैसे व्यतीत करते हैं, उनकी संवेदनाएं, दर्द, मनोदषाओं का चित्रण बडे़ ही मार्मिक ढंग से किया गया है। उम्र के आखरी पड़ाव पर वे अकेले रहने को मजबूर है और यदि दोनों में से एक का निधन हो जाता है तो तो जीवित वृद्ध/वृद्धा बिल्कुल अकेले पड़ जाते हैं। जीवनभर की कमाई अपने बच्चों के नाम कर देने वाले माता-पिता को बुनियादी जरूरतों के लिए मजबूर होना पड़ता है और अपने परिवार से दूरी से उनका आखरी समय दयनीय व असहाय होकर मृत्यु को प्राप्त करता है। नाटक ‘‘वो….आखरी पड़ाव’’ जीवन के आखरी सफर की यही कहानी बयां करता है। नाटक ‘‘वो….आखरी पड़ाव’’ के इस दर्द और संवेदनाओं को अपने शानदार अभिनय से पाण्डे के रूप में भरतसिंह राजपुरोहित, चैधरी के रूप में आमिर हुसैन, दीवान के रूप में आजाद सोनी, रामजी के रूप में विकास सोनी, राकेष के रूप में राहुल चावला, निषा के रूप में प्राची राजपुरोहित, मैनेजर के रूप में दीपांकर चैधरी और रवि के रूप में रोहित सिंह आदि ने दर्षकों का मन मोह लिया। दर्षक भी इस नाटक ‘‘वो….आखरी पड़ाव’’ के दर्द एवं संवेदनाओं के साथ बह गये और उनकी भी आंखे नम हो आई। नाटक के मंच के पीछे से जिन्होनें सहयोग दिया वो हैं, संगीत संयोजन-पकंज व्यास, प्रकाष प्रभाव-मुकेष शर्मा, मंच संज्जा-रिया मोटवानी, नेहा शर्मा, मंच प्रबधन-अजित राजपुरोहित आदि। नाटक के अंत में निर्देषक मंजूलता रांकावत को एक शाॅल एवं प्रतीक चिन्ह से संस्था द्वारा सम्मानित किया गया।

‘‘रंग आनन्द’’ द्वितीय त्रिदिवसीय नाट्य समारोह के प्रथम दिन से लेकर समारोह समापन तक संयोजन बीकानेर के बहुत ही चर्चित लेखक, पत्रकार और संयोजक श्री हरीष बी. शर्मा ने किया।

‘‘रंग आनन्द’’ द्वितीय त्रिदिवसीय नाट्य समारोह एवं प्रथम ‘‘रंग आनंद’’ अवार्ड समारोह के इस आयोजन को सफल बनाने में प्रदीप भटनाटर, बुलाकी शर्मा, मधुसूदन आचार्य, सुरेष आचार्य, आनन्द जोषी, हेमन्त आसोपा, योगेन्द्र तिवाड़ी, दिनेष ओझा ‘डीके’, षिवाजी आचार्य, वसीम राजा ‘‘कमल’’, अभिषेक आनंद आचार्य और हरीष बी. शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। संस्था अध्यक्ष श्री विद्यासागर जी आचार्य एवं मधु आचार्य ‘आषावादी’ ने संकल्प नाट्य समिति की ओर से तीनों दिन उपस्थित रहने वाले दर्षकों, निर्देषकों, कलाकारों का आभार प्रकट किया।