जयपुर। करीब 6 माह की जद्दोजहद के बाद राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी बनी तो सही, लेकिन अब पार्टी नेताओं ने विरोध के स्वर उठाना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी के बीच खींचतान इस हद तक बढ़ी कि कई वरिष्ठ नेता पदाधिकारी बनने से रह गए। हालात यह हो गए कि डोटासरा अपने खास समर्थकों को भी पदाधिकारी नहीं बनवा सके।
कार्यकारिणी गठित होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महासचिव गिरिराज गर्ग ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वैश्य समाज को सही प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उन्होंने कहा, पिछली कार्यकारिणी में वैश्य समाज के 10 नेताओं को पदाधिकारी बनाया गया था, लेकिन इस बार एक भी नेता को पद नहीं दिया गया। इससे वैश्य समाज में नाराजगी बढ़ी है।
गर्ग का कहना है कि वैश्य समाज से एक भी पदाधिकारी नहीं बनाया जाना बड़ी चूक है। वहीं राज्य सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कार्यकारिणी में राजपूत समाज को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे।
उन्होंने कहा कि सूची तैयार करने से पहले प्रदेश अध्यक्ष ने मुझसे कोई बात नहीं की, राजपूत समाज को उचित स्थान मिलना चाहिए। कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ के संयोजक राजेंद्र सैन ने भी अन्य पिछड़ा वर्ग को कार्यकारिणी में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर नाराजगी जताते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन को पत्र लिखा है।उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग ने हमेशा पार्टी का साथ दिया है, लेकिन इस बार कार्यकारिणी में सही प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। कांग्रेस की महिला नेताओं ने भी महिलाओं को कम स्थान मिलने पर नाराजगी जताते हुए अजय माकन तक अपनी बात पहुंचाई है।