बीकानेर पुस्तक-संस्कृति का गढ़ : डॉ.चारण

मधु आचार्य ‘आशावादी’ की 19 कृतियों का लोकार्पण

बीकानेर। वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादीÓ की 19 कृतियों का लोकार्पण गुरुवार को स्थानीय धरणीधर रंगमंच पर हुआ। नट साहित्य संस्कृति अकादमी व गायत्री प्रकाशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अर्जुनदेव चारण, विशिष्ट अतिथि लोक कला  मर्मज्ञ डॉ.श्रीलाल मोहता था। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी-भामाशाह रामकिसन आचार्य ने की। इस अवसर  दो व्यंग्य संग्रह ‘ अगले जन्म मोहे बाड़ेबंदी न दीजौÓ व ‘मोरे अवगुण चित्त न धरो’, दो कहानी संग्रह  ‘जिंदगी के शिलालेखÓ व ‘आठ सवालÓ, एक लघुकथा संग्रह ‘कहो कुछ,करो कुछÓ, दो उपन्यास ‘थर्ड एसी का सफरÓव ‘जूंण सूं नुवीं जूणÓ, डायरी विधा में ‘सन्नाटे के कोलाहलÓ, संस्मरणात्मक रेखाचित्र ‘यादों की लकीरेंÓ कविता संग्रह ‘आ, लौट आÓ, ‘शशश चुपÓ, ‘है प्रतिघातÓ व ‘मिनख बणÓर बताÓ और छह बाल साहित्य ‘कर दिया कमालÓ, ‘बड़े आदमी बन जानाÓ, ‘शेखर की शोहरतÓ, ‘अणपढ़ खाली अरड़ावैÓ, ‘गौतम अर गीताÓ, ‘सुनील री समझÓ का लोकार्पण हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष  डॉ.अर्जुनदेव चारण ने इस अवसर पर कहा कि बीकानेर पुस्तक संस्कृति का गढ़ है। आज के दौर में जहां हर व्यक्ति के पास मोबाइल है, ऐसे में बीकानेर का एक साहित्यकार लगातार सृजन कर रहा है, पुस्तकें लिख रहा है तो इससे जाहिर होता है कि बीकानेर में पुस्तक संस्कृति को बचाए रखने के लिए कृत संकल्पित है। खासतौर से उन्होंने मधु जी द्वारा बच्चों को पुस्तकें समर्पित करने की भाव के सराहना करते हुए कहा यही रचनाकार का मूल दायित्व है कि वह अपना सृजन आगे की पीढ़ी को सौंप दे। बच्चा अगर किताब से नहीं जुड़ेगा जो भविष्य का पाठक कौन होगा। इस अवसर पर डॉ.चारण ने कहा कि विषम काल में सृजनात्मकता का यह आयाम ऐतिहासिक है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि लोक कला मर्मज्ञ डॉ.श्रीलाल मोहता ने कहा कि बीकानेर में रचनात्मकता एक परंपरा है, मेरा मानना है कि बीकानेर से कालजयी सृजन भी सामने आएगा। उन्होंने कहा कि साहित्य के क्षीरसागर में निरंतर मंथन जारी है। एक अच्छा रचनाकार जहर को अपने पास रखकर समाज को अमृत अर्पित करता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी व पूर्व सरपंच रामकिसन आचार्य ने कहा कि रचनाकार जो लिखता है, उसे पढऩे से समाज संस्कारित होता है। मधु जी के लेखन से समाज को नई दिशा और दृष्टि मिलती है।
इस अवसर पर अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए मधु आचार्य ने कहा कि उनके सृजन को आगे लाने में बहुत सारे लोगों का हाथ है, इसलिए अगर कुछ अच्छा कर पाया तो यह उनकी सफलता है। मेरी सार्थकता तब है जब मेरे लिखे हुए को पढ़ा जाए और सवाल किये जाए। उन्होंने कहा कि मेरे किरदार मुझे अभिव्यक्त होने के लिए प्रेरित करते हैं। लोकार्पित कृतियों पर वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा व कवि-कथाकार तथा जनसंपर्क अधिकारी हरिशंकर आचार्य ने पत्रवाचन किया।
इस अवसर पर मनीष पारीक, उमाशंकर व्यास, किसन व्यास, पेंटर धर्मा व रामसहाय हर्ष व शंकरसिंह राजपुरोहित का सम्मान किया गया है। प्रारंभ में स्वागत भाषण पत्रकार धीरेंद्र आचार्य ने दिया। आभार पत्रकार अनुराग हर्ष ने स्वीकार किया। संचालन हरीश बी. शर्मा ने माना।

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