बीकानेर : यहां मिट्टी से रोज बनते है हजारों शिवलिंग, पढ़े खबर

बीकानेर, भगवान आशुतोष शंकर को प्रसन्न करने के लिए धर्मशास्त्र में अभिषेक, शिव मंत्र जाप के साथ-साथ कई प्रकार के शिवलिंग की अर्चना का महत्व शिव पुराण में बतलाया गया है। स्वर्ण, रजत, गंध, बाणलिंग, स्फटिक शिवलिंग पूजा के साथ ही शिव पुराण में पार्थिव (मिट्टी) शिवलिंग निर्माण पूजन का विशेष महत्व बतलाया गया है।सावन के दौरान शहर में विभिन्न शिवालयों में पार्थिव शिवलिंग निर्माण पूजन अनुष्ठान पूरे एक माह तक चलता है। इस दौरान शिवभक्त शिव मंत्रोच्चार के बीच प्रतिदिन हजारो पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर अभिषेक-पूजन करते है। अनुष्ठान के दौरान सवा लाख पार्थिव शिवलिंग तैयार कर उनका अभिषेक-पूजन किया जाता है।

4500 शिवलिंग का रोज निर्माण

सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण पूजन के प्रत्येक अनुष्ठान स्थल पर लगभग 4500 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर प्रतिदिन कर उनका पूजन अभिषेक किया जाता है। वेदपाठी ब्राह्मण एवं शिवभक्त सावन के दौरान दिनभर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण मंत्रोच्चारण के बीच करते है।

इनसे बनते है पार्थिव शिवलिंग

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार पार्थिव शिवलिंग निर्माण के लिए पवित्र सरोवर की मृदा(मिट्टी) का उपयोग किया जाता है। मिट्टी में गंध, पुष्प, गोबर, यव गोधूम, वंश लोचन, चावल का चूर्ण, भस्म, घी, केशर, गंगाजल, गुलाबजल, मक्खन, सुगंधित द्रव्य, औषधियां आदि मिलाकर पार्थिव शिवलिंग तैयार किए जाते है। पंडित किराडू के अनुसार अलग-अलग कामनाओं की सिद्धि के लिए मिट्टी में अनेक द्रव्य मिलाकर शिवलिंग निर्माण कर पूजा की जाती हैं।

एक इंच तक आकार, घंटो शिवलिंग निर्माण

पंडित जयकिशन पुरोहित के अनुसार पहले मिट्टी का शुद्धिकरण, मिट्टी पूजन कर औषधियां व अन्य सामग्री मिट्टी में मिश्रित कर मिट्टी तैयार की जाती है। सामान्यत: एक इंच आकार के पार्थिव शिवलिंग तैयार किए जाते है। प्रत्येक शिवलिंग पर चावल लगाया जाता है। प्रतिदिन एक बड़े आकार का शिवलिंग भी बनाया जाता है। प्रतिदिन छह से सात घंटे तक शिवलिंग निर्माण होता है। बाद में शिवलिंगों का सामूहिक पूजन, अभिषेक कर आरती की जाती है। अनुष्ठान की पूर्णाहुति पर हवन, सामूहिक पूजन कर पवित्र सरोवर या नदी में विसर्जित किए जाते है। शहर में आधा दर्जन से भी अधिक स्थानों पर यह अनुष्ठान चल रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *