कांग्रेस के अनिल शर्मा ने 26,696 वोटों के साथ सरदारशहर उपचुनाव में जीत हासिल की है। कांग्रेस के दिवंगत विधायक भंवर लाल शर्मा के निधन से खाली हुई सरदार शहर सीट पर 5 दिसंबर को मतदान हुआ था। मतदान 72.9 प्रतिशत रिकॉर्ड हुआ था। उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की है।
सरदारशहर में कांग्रेस ने मारी बाजी, जनता ने जताया अनिल शर्मा पर भरोसा

जयपुर। राजस्थान में सत्ता का सेमीफाइनल समझी जा रहे सरदारशहर उपचुनाव में कांग्रेस ने भारी मतों के साथ जीत हासिल की है एक रोचक त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस के प्रत्याशी पंडित अनिल शर्मा ने विजय प्राप्त की. पहले राउंड से ही अनिल शर्मा ने बढ़त बनाए हुए थी। जिसे आखिर तक कायम रखा गया और काउंटिंग आगे बढ़ने के साथ ही जीत का अंतर बढ़ता गया। भंवर लाल शर्मा सरदार शहर के सरदार के रूप में ही पहचाने गए थे, उनके निधन के बाद हो रहे उपचुनाव में सहानुभूति की लहर ने जमकर असर दिखाया और एक बार फिर इस दिशा में कांग्रेस का भरोसा कायम रहा।

कांग्रेस ने यहां से भंवरलाल शर्मा के बेटे पंडित अनिल शर्मा को ही प्रत्याशी बनाया था दूसरे नंबर के लिए बीजेपी और आरएलपी में कड़ी प्रतिस्पर्धा रही। राउंड दर राउंड अशोक पींचा और लालचंद मूंड के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। सातवें राउंड तक आते आते बाजी भाजपा के पक्ष में जाती दिखी।

इन दिग्गजों की साख रही थी दांव पर- साल 2023 के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा सरदार शहर के उपचुनाव को सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था। जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल करके राजस्थान में अब तक चले आ रहे ट्रेंड को कड़ी चुनौती देने की दिशा में संकेत दिए हैं। यहां हालांकि बीते दिनों राजस्थान कांग्रेस में हुए गतिरोध के बाद गहलोत-पायलट चैप्टर के बीच दिग्गज नेताओं की मौजूदगी मैदान में नहीं थी। ऐसे में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बीच उप चुनाव की रणनीति से लेकर ग्राउंडवर्क का जिम्मा संभाला था।

 

अब नतीजों में कामयाबी लेकर डोटासरा ने खुद को मजबूत नेता के रूप में साबित भी किया है।वहीं भारतीय जनता पार्टी से एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की हार देखने को मिली है, तो दूसरी ओर प्रभारी की तौर पर जिम्मा संभाल रहे अर्जुन राम मेघवाल को मैदान में उतरकर देवी सिंह भाटी की चुनौती मिली। जिसका भी सामना नहीं कर सके। आरएलपी से हनुमान बेनीवाल ने मैदान में कड़ी टक्कर देने की कोशिश की, परंतु उनका पैंतरा भी सरदार शहर की जनता ने नकार दिया। खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आरएलपी में प्रमुख रूप से किसान नेताओं के हाथ में ही जिम्मेदारी थी।