वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी की पांच कृतियाँ लोकार्पित, धरणीधर सभागार में हुआ लोकर्पण समारोह
बीकानेर।- बीकानेर के वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार और केंद्रीय साहित्य अकादमी के सदस्य श्री मधु आचार्य आशावादी की पांच नई कृतियों 1.हिंदी उपन्यास सूरजमुखी,2 कविता संग्रह आक के फूल,3 बाल साहित्य घड़ी की सुईया,4 बाल साहित्य सीमा पर सलीब,5 साहित्य की सीआरपीसी भाग 2 का लोकार्पण आज धरणीधर सभागार में देहली से आये व्यंगकार प्रशिद्ध संपादक श्री प्रेम जनमेजय, आलोचक व्यंगकार श्री रमेश तिवारी के वरिष्ठ साहित्यकारश्री श्रीलाल मोहता के करकमलों से सम्पन हुआ।
व्यंगकार रमेश तिवाड़ी ने लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य लोगो को जोडऩे का कार्य करता है समता, समानता और भाईचारा साहित्य के मूल है और साहित्य में मूल्य ही ना हो तो साहित्य नही होता। तिवाड़ी ने कहा कि वैचारिक विमर्श में मुद्दा महत्वपूर्ण होना चाहिए रिस्ता नही। विस्तार से अपनी बात रखते हुए तिवाड़ी जी ने कहा कि आधुनिक साहित्य का बीजारोपण गुरु गोविंद सिंह जी ने किया और कमजोर व्यक्ति को मजबूत व्यक्ति के सामने लडऩे की ताकत प्रदान करे वही साहित्य होता है और राष्ट्र की संकल्पना पूरे मानव समुदाय के कल्याण की बात भारत का साहित्य देता है भारत के संस्कार ही पूरे विश्व मे वशुधेव कुटुंबकम की प्रेरणा देते है। तिवाड़ी ने कहा कि बहुत बार देखा है कि लेखन और आचरण में बहुत फर्क होता है लेकिन मधु आचार्य जी इसमे अपवाद है वो जैसा लिखत्ते है वैसा ही आचरण में भी लाते है यह व्यक्ति को महत्वपूर्ण बनाता है। तिवाड़ी ने कहा कि सेतु का काम करने वाला लेखन और साहित्य ही प्रासंगिक होता है
वरिष्ठ संपादक प्रेम जन्मेजय ने कहा कि आज बीकानेर पहली बार आया लेकिन यहाँ के लोगो की आत्मीयता देखकर अभिभूत हु और मुझे लगा ही नही की पहली बार बीकानेर आया हूं।आज बीकानेर साहित्य जगत में पांच पुस्तको के लोकर्पण अवसर आप सबकी उपस्थिति इस बात को दर्शाती है कि बीकानेर का आमजन अपने साहित्यकारों को पूरा सम्मान देता है और मधु आचार्य जी जो अपने लोगो को बड़ा मानते है यही वो बात है जो उनकी ताकत है। प्रेम जनमेजय ने कहा कि लिखना प्राथमिकता हो तो कलम अपने आप साथ देती है और व्यंगकार सकारात्मक जीवन के लिए ही नकारत्मक द्रष्टिकोण रखते है ताकि समाज बेहतर बन सके बेहतर साहित्य की व्याख्या करते हुए कहा कि लेखन में सामाजिक सरोकार होना आवश्यक है। अब तक 60 पुस्तको के सृजन पर बोलते हुए जनमेजय ने कहा कि 60 के बाद ऊर्जा बढ़ती है और मधु आचार्य जी के सृजन के प्रति लगाव को देखते हुए लगता है कि इनकी शतक बहुत जल्दी होगी और इसके लिए वे अपनी शुभकामनाये भी देते है।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री श्रीलाल मोहता ने अपने अध्यक्ष उदबोधन में कहा कि दार्शनिक व्यक्ति और दर्शन को अधिकतम लोगो तक ले जाना ही साहित्य जगत को जीवंत बनाता है और मधु आचार्य जी और गायत्री प्रकाशन इसबात के लिए साधुवाद के पात्र है कि वे इसकार्य को पूरी ईमानदारी से कर रहे है। मोहता ने कहा की आज की पांच कृतियाँ प्रकृति की पांच रस से सरोबार नजर आ रही है जो कि जीवन को नए आयाम देती है और सात्विक साहित्य ही व्यक्ति को नकारत्मक द्रष्टिकोण से आज़ाद करता है। मोहता ने कहा कि अलग अलग विषयो और विधाओं पर एक साथ लिखना बहुत दुश्वार होता है लेकिन मधु जी ने इस काम को भी बहुत बेहतरीन तरीके से निभाया है इसके लिए वे साहित्य सृजन के अनमोल व्यक्ति बन जाते है व्यंग और बाल साहित्य लिखना आसान नही होता व्यंग जहां वर्षो तक जेहन में रहते हुए जीवन का आधार बनता है वही बाल मनोविज्ञान साहित्य की आधारशिला है और हर व्यक्ति की बात को समझने वाला अच्छा लेखक और व्यंगकार बनता है जिसको मधु जी ने बेहतरीन तरीके से निभाया है। जीवन के यथार्थ को लिखना ही साहित्य होता है और मधु जी के लेखन में वो सब मिलता है
लोकार्पण अवसर पर साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा की साहित्य का नैतिक मूल्यांकन तो होना ही चाहिए। मधु आचार्य ने कहा की व्यक्ति समाज की इकाई है और साहित्य समाज का सरोकार और मुझे खुशी है कि मेरा समाज मेरी ताकत बनकर मेरे साथ खड़ा रहता है मेरा समाज इंसानो का समाज है जाती और धर्म नही का नही। मधु आचार्य ने कहा कि में हमेशा अपनी हर कृति को पहली कृति मानता हूं और चाहता हु की पाठक भी उसकी गुणात्मक स्तर पहली कृति के रूप में ही व्याख्या करे। आचार्य ने कहा की संख्या महत्वपूर्ण नही होती महत्वपूर्ण होता है साहित्य में संवेदनाओ और पाठक को अपनी और आकर्षित करने की काबलियत हो
वरिष्ठ पत्रकार हरीश बी शर्मा के संचालन में सम्पन कार्यक्रम में लोकार्पित कृतियों पर पत्रवाचन रचनाकार सीमा भाटी और ऋतु शर्मा ने किया। स्वागत वक्तव्य पत्रकार धीरेन्द्र आचार्य ने दिया और आभार बीकानेर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनुराग हर्ष ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर बीकानेर साहित्य जगत के प्रबुद्ध साहित्यकार, नगर के व्यापारी गण, राजनेतिक और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े महानुभाव,अधिवक्ता और प्रमुख नागरिक गण मौजूद थे।