बीकानेर,बछ बारस व्रत की पूजा की कथा सुनी महिलाओं ने बछ बारस का व्रत रखा ।
इस दिन व्रत रखने वाली स्त्रियों को गाय का दूध सर्वथा वर्जित माना जाता है, केवल भैंस का दूध ही उपयोग में लिया जाता है।
इस दिन व्रत रखने वाली सभी स्त्रियों को गाय का दूध, गेहूँ, चावल एवं दहीं नही खाती है । बाजरे की ठंडी रोटी खाती है। और जो चाकू से सब्जी नई काटनी पड़े एसी सब्जी बनाकर खाती है।
महिलाएं गाय और बछड़े की पूजा करती हैं। इस दिन पुत्रवती स्त्रियां व्रत रखती हैं। पुत्र की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना की जाती है।
बीकानेर में भैंस के दूध की मांग आज जोरों पर रही दूध के भाव ₹70 से लेकर ₹100 किलो तक बिका वही दही 90 रुपए किलो से लेकर 120 रुपए तक बिका और बाजार में भैंस का घी भी उपलब्ध था जो ₹800 किलोग्राम तक बिका।
बछ बारस कथा |
पुराणों व ग्रंथो में सुनते आ रहे है कि जब भगवान विष्णु जी अवतार लेकर इस धरती पर आये तो उन्होने अपनी बाललीलाए ब्रज में की। एक दिन भगवान कृष्ण जी ने माता यशोदा जी से कहा की माता आज गायों को चराने के लिए मैं जाऊगा। अपने लल्ला की बात सुनकर माता ने कहा ठीक है। और मैया ने कान्हा जी को पूरी तरह से सजाकर गाये चराने के लिए भेज दिया।
और कहा की लल्ला गाये चराने के लिए ज्यादा दूर मत जाना। भगवान कृष्ण जी द्वादशी को पहली बार जंगल में गौएं-बछ़डे चराने के लिए गए। भगवान कृष्ण जी के द्वारा गोवत्साचारण (पहली बार गाय चराने) की इस पुण्य तिथि को बछ बारस पर्व के रूप में मनाया जाता है।