बीकानेर। ऊब छठ का व्रत और पूजा विवाहित स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए तथा कुंआरी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिये करती है। भाद्र पद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ (षष्टी तिथि) ऊब छठ होती है। पिछले दो साल से कोरोना के चलते प्रदेश के मंदिर होने से महिलाओं व लड़कियों ने घर पर रहकर ही ऊबछठ के व्रत रखे। लेकिन इस बार सभी मंदिर खुले है तो महिलाए व लड़कियां कल शाम होते ही मंदिरों में पहुंच जाती है और ठाकुरजी के दर्शन करती है। पंडित श्रवण व्यास ने बताया कि ऊब छठ का व्रत शुक्रवार को है और चन्द्र दर्शन रात्रि 10 बजकर 10 मिनट पर होगी। श्रवण व्यास ने बताया कि शनिवार को छठ रात्रि 8.56 मिनट तक ही है जबकि हिन्दू मान्यता के अनुसार ऊबछठ के व्रत के दौरान चन्द्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है इसलिए व्रत शुक्रवार को किया जायेगा। ऊब छठ को चन्दन षष्टी , चन्ना छठ और चाँद छठ के नाम से भी जाना जाता है। ऊब छठ का व्रत रखने वाली महिलाए और कुंआरी लड़कियां सूर्यास्त के बाद से चंद्रोदय तक खड़े रहकर पौराणिक कथाओं का श्रवण करेंगी। साथ ही मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन कर पूजा अर्चना की जाएगी। ऊब छठ के दिन मंदिर में भगवान की पूजा की जाती है। चाँद निकलने पर चाँद को अध्र्य दिया जाता है। उसके बाद ही व्रत खोला जाता है। सूर्यास्त के बाद से लेकर चाँद के उदय होने तक खड़े रहते है। इसीलिए इसको ऊब छठ कहते है।