जयपुर, राजस्थान समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस साल सर्दी समय से पहले दस्तक दे सकती है। देरी से होती मानसून की विदाई और उत्तरी भारत में समय से पहले बर्फबारी इस बात के संकेत दे रही है। पिछले 2 दिन से हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश के साथ अच्छी बर्फबारी भी हुई है। आमतौर पर अक्टूबर के आखिरी सप्ताह या नवंबर में ही ये बर्फबारी देखने को मिलती है। हिमाचल प्रदेश के टॉप हाइट वाले एरिया लाहौल स्पीति, किन्नौर में पिछले दिनों 3 इंच तक बर्फबारी हुई है, जिससे वहां का तापमान सामान्य से 4 से 6 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो इस बर्फबारी का असर राजस्थान में भी दिखेगा। इससे न केवल सर्दी जल्दी आ सकती है, बल्कि रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार सर्दी 120 दिनों से भी ज्यादा दिन तक रहने की संभावना है। मिड अक्टूबर से ही ठंडी रातें शुरू हो सकती हैं और रात का न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है।

आखिर क्यों इतना जल्दी आ सकता है सर्दी का मौसम

मौसम विशेषज्ञों की मानें तो देश के अधिकांश हिस्सों में अभी मानसून की विदाई नहीं हुई है। अभी भी राजस्थान के कई जिलों में बारिश का दौर जारी है। मानसून जितनी देरी से जाएगा उतना ही वातावरण में नमी देरी तक रहेगी। इस बार लंबे मानसून के कारण नमी लगातार बनी हुई है। वहीं, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (उत्तरी हवाएं) एक्टिव होने के कारण पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू होने के कारण सर्दी का असर जल्द शुरू होगा और ज्यादा दिन तक रहेगा। आपको बता दें देश में सर्दी आने के पीछे सबसे बड़ा कारण वेर्स्टन डिर्स्टबेंस ही होता है। इसी सिस्टम से उत्तर भारत के जम्मू, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश का मौसम बदलता है और वहां बारिश और बर्फबारी होती है। यही उत्तरी हवाएं जब दक्षिण-पश्चिम की तरफ आती हैं तो मैदानी इलाकों (दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड) में सर्दी पड़नी शुरू होती है।

दिसंबर से माइनस में चला जाता है राजस्थान में पारा
राजस्थान के कई हिस्सों में दिसंबर मध्य के बाद सर्दी जोर पकड़ने लगती है। शीत लहर का दौर शुरू हो जाता है। कई जगहों पर पारा जमाव बिंदु ( जीरो डिग्री सेल्सियस) से भी नीचे चला जाता है। चूरू, सीकर, झुंझुनूं, के अलावा माउंट आबू में तो बर्फ जमने लग जाती है। तेज सर्दी का ये दौर जनवरी के तीसरे सप्ताह तक जारी रहता है।

इन कारणों से भी बढ़ती है सर्दी

  • मानसून सीजन में हवाओं का डायरेक्शन ईस्ट से नॉर्थ-वेस्ट और साउथ से नॉर्थ-वेस्ट की तरफ रहता है, लेकिन ये धीरे-धीरे बदलकर अक्टूबर में नॉर्थ से साउथ-वेस्ट की ओर बहने लगती हैं। इससे जम्मू-लद्दाख, अफगान एरिया से ठंडी हवाएं मध्य व पश्चिमी भारत की तरफ आने लगती हैं। जो सर्दी का असर बढ़ाती हैं।
  • सूर्य की सीधी किरणें जो जुलाई-अगस्त-सितंबर में मध्य भारत पर पड़ती हैं, वह अक्टूबर से धीरे-धीरे साउथ दिशा में शिफ्ट होने लगती हैं, जिसके कारण हिटिंग कम होने लगती है और धीरे-धीरे ठंडक बढ़ती है।

  • राजस्थान की मिट्टी की नेचर सबसे अलग
    पारा माइनस में जाने के पीछे बड़ा कारण राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां, यहां का सोइल नेचर (मिट्‌टी की प्रकृति) और कम मॉइश्चर (नमी) है। राजस्थान में मॉइश्चर बहुत कम है और ज्यादातर इलाके मैदानी और खुले हैं। इसके अलावा सोइल नेचर बहुत अलग है। यहां की जमीन जितनी जल्दी गर्म होती है, उतनी ही जल्दी ठण्डी होती है। इस कारण यहां जमीन स्तर पर तापमान माइनस में चला जाता है और बर्फ जम जाती है। अगर जमीन के आसपास मॉइश्चर अच्छा हो तो बर्फ जमने जैसी स्थिति बहुत कम रहे।

    मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक अब आगे क्या?
    देरी से मानसून जाने के कारण इस बार राजस्थान में सर्दी का सीजन 4 महीने का हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार सर्दी का मौसम 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक चार महीने का होता है। लेकिन, पिछले कुछ सालों में सर्दी का पैटर्न काफी बदला है और सर्दी के दिन कम हुए हैं। आमतौर पर सर्दी नवंबर के बाद ही जोर पकड़ती है। इस बार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सर्दी का असर पूरे चार महीने रह सकता है।

    मानसून विदाई कब होगी?
    मौसम वैज्ञानिक डॉ. डीपी दुबे के अनुसार अक्टूबर के पहले से दूसरे सप्ताह के बीच (5 से 12 अक्टूबर) मानसून कभी भी विदाई ले सकता है। मौसम विभाग की मानें तो अभी अगले तीन दिन तक बारिश का दौर जारी रहेगा। शनिवार को अजमेर, अलवर, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, जयपुर, झुंझुनूं, करौली, सीकर, टोंक में बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। वहीं जयपुर, सीकर और झुंझुनू में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इसके बाद कुछ दिन तक मौसम शुस्क रहने की संभावना है।