सहकारी दवा केंद्रों से एनओसी लेने के बाद बिगड़ी स्थिति:
राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में किए गए बदलाव में जहां निजी दवा केंद्रों को अधिकृत किया गया,वहीं सहकारी दवा केंद्रों पर जो दवाइयां उपलब्ध नहीं होती थीं, उनके लिए अन्य दुकानों से खरीदने की एनओसी देने की बाध्यता भी खत्म कर दी गई. पूर्व में पेंशनर या अन्य सरकारी क र्मचारी सहकारी दवा केंद्रों पर डॉक्टर की लिखी दवाइयों की पर्ची लेकर जाता था और दवा केंद्रों पर इनमें से जो दवा उपलब्ध होती थी, वो मरीज को मिल जाती थी। बची हुई दवाई निजी मेडिकल स्टोर से खरीदने के लिए सहकार दवा केंद्र संचालक संबंधित कर्मचारी को एनओसी जारी कर देता था। जिसके आधार पर पेंशनर या कर्मचारी को उसका भुगतान मिल जाता था। लेकिन अब ये बाध्यता खत्म हो गई है। ऐसे में सरकारी कर्मचारी या पेंशनर्स सीधे मेडिकल स्टोर से ही समस्त दवाइयां ले लेते हैं।
अब तक इतना चल रहा है बकाया
समन्वय समिति के संयोजक शिवदयाल गुप्ता ने बताया कि प्रदेश के 33 जिलों में स्थापित भंडार में कॉन्फेड के माध्यम से 16 अगस्त 2023 तक दवाओं के पुनर्भरण की व्यवस्था की गई थी। जिसके चलते सीधे भंडारों को दवा वितरण का भुगतान करने के दिशा निर्देश जारी हुए थे। इसके बाद भी नवम्बर 2021 से 15 अगस्त 2023 तक 105.16 करोड़ बकाया है। इसमें से 10 करोड़ रुपये कॉन्फेड को देना बकाया है। वहीं 16 अगस्त 2023 से आज दिनांक तक 148.83 करोड़ राशि आरजीएचएस में बकाया है। इसके लिये भंडार प्रमुख पिछले डेढ़ साल से पत्र व्यवहार,ज्ञापन देने का क ाम भी कर रहे है। फिर भी भुगतान नहीं हो रहा है।
निजी मेडिकल स्टोर को समय पर भुगतान, उपभोक्ता भंडार को नहीं
भंडार प्रमुख का आरोप है कि आरजीएचएस योजना के दायरे में आने वाले निजी मेडिकल स्टोर को समय पर भुगतान हो रहा है। जबकि सहकारी उपभोक्ता भंडारों का महीनों से भुगतान बकाया है। भंडार और सरकार के बीच भुगतान की राशि कानफेड के जरिए दी जाती है। पिछले कई महीनों से प्रदेश का करोड़ों रुपए का भुगतान अटका हुआ हैं।
बनाई समन्वय समिति,सरकार को किया आगाह
भुगतान सहित अनेक मुद्दों के निस्तारण के लिये भंडार प्रमुखों ने समन्वय समिति का गठन किया है। जिसमें किसान सहकारी समिति गंगानगर के अध्यक्ष शिवदयाल गुप्ता को संयोजक बनाया है। वहीं बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के अध्यक्ष नगेन्द्रपाल सिंह को सह संयोजक नियुक्त किया है। जिन्होंने स्पष्ट किया है कि आगामी एक माह तक भुगतान का निस्तारण नहीं हुआ तो मजबूरन भंडार प्रमुख आन्दोलन की राह पर चलेंगे।
ये बताई खामियां
होलसेल भंडार सिरोही के अध्यक्ष जितेन्द्र एरन ने बताया कि आरजीएचएस योजनान्तर्गत कैंसर,किडनी व अन्य गंभीर बीमारियों की दवाईयों की खरीद में प्राइवेट मेडिकल स्टोर व सहकारी भंडार की दुकान की दर में भारी मात्रा में अंतर है। जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रूपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट मेडिकल स्टोर वाले एमआरपी पर बारह प्रतिशत कम राशि पर दवा देते है। जबकि सहकारी भंडार में खरीद मूल्य पर केवल दस प्रतिशत प्रभार ही लिया जाता है। उन्होंने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए ऐसी अनेक दवाओं का जिक्र किया। जिसकी कीमत में रात दिन का अंतर देखने को मिल रहा है। सभी ने प्रेस वार्ता के ज़रिए सरकार के आला नुमाइंदों से अपील की है कि प्राइवेट मेडिकल स्टोर और सहकारी भंडारों के सॉफ्टवेयर में समान व्यापार समान नीति के तहत एकरूपता की जानी चाहिए। ताकि एक तरफ़ जनता के पैसे का सदुपयोग हो और दूसरे सहकारी संस्थाएँ पुनर्जीवित हो सके। उपस्थित सहकारी पदाधिकारियों ने एक ही दवा के मूल्य में इतने बड़े अन्तर से भुगतान होने पर भ्रष्टाचार की संभावना भी जताई। सभी ने आरजीएचएस योजना की विसंगतियों को लेकर इसकी उच्च स्तर पर पुन: समीक्षा की मांग की। प्रेस वार्ता में सवाईमाधोपुर होलसेल भंडार अध्यक्ष शिवकरण मीणा,झून्झुनू अध्यक्ष विद्याधर चौधरी,हनुमानगढ़ अध्यक्ष मो मुश्ताक जोईया,गंगानगर के उपाध्यक्ष सुभाष गुप्ता,सवाईमाधोपुर के बजराम मीणा,बीकानेर के उपाध्यक्ष विनोद चौपदार तथा दिनेश सेवग भी मौजूद रहे।