जयपुर, बारिश, सर्दी, गर्मी या फिर कैसा भी मौसम हो जब भविष्यवाणी की बात आती है तो यह कहा जाता है कि जैसा बोलते हैं वैसा होता नहीं है। बारिश की भविष्यवाणी हुई, लेकिन आई नहीं, सर्दी का बोला और सर्दी आई ही नहीं, लेकिन, इस बार मानसून सीजन में विभाग की भविष्यवाणी काफी हद तक सटीक रहीं। जयपुर मौसम केन्द्र ने इस मानसून सीजन में बारिश को लेकर जितने फोरकास्ट या अलर्ट जारी किए इनमें से 83 से 87 फीसदी बिल्कुल सही साबित हुए। वहीं, गलत भविष्यवाणी की बात करें तो ये केवल 13 फीसदी थीं। जयपुर मौसम केन्द्र ने जुलाई और अगस्त के महीने में 60 से ज्यादा फोरकास्ट (डेली) और 10 से ज्यादा वॉर्निंग (आगमी 5 दिन में भारी या अतिभारी बारिश या थंडरस्ट्रॉम की चेतावनी) जारी की। इसमें से 80 फीसदी यानी करीब 49 फोरकास्ट बिल्कुल सही रहे।
इन कारणों से आता है अच्छा फोरकास्ट
निदेशक ने बताया कि आज के दौर में वेदर के फोरकास्ट की एक्युरेसी जो बढ़ी है उसके पीछे सबसे बड़ा कारण हाई टेक्नॉलोजी के वेदर सिस्टम है। सिस्टम की बात करें तो हाई रिजोल्यूशन वाले न्यूमेरिकल वेदर प्रिडिक्शन मॉडल है, जो लॉन्ग रेंज फोरकास्ट के लिए अच्छे हैं। इसके अलावा जो शॉट रेंज फोरकास्ट (आगामी 2 से 4 घंटे की भविष्यवाणी) में ये एक्युरेसी का प्रतिशत 90 फीसदी के आसपास रहा है। जबकि, शॉट रेंज फोरकास्ट के लिए लेटेस्ट टेक्नॉलोजी में डॉप्लर रडार सिस्टम और लेटेस्ट सैटेलाइट का रोल अहम है। पिछले 2-3 साल से डिसेमिनेशन को भी अपग्रेड किया है। मौसम पूर्वानुमान के लिए सबसे पहले मौसम और मौसमी आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं। इसके साथ ही हवाओं के रुख के जरिए तापमान, दाब, आर्द्रता आदि के बारे पता किया जाता है। इसमें डॉप्लर रडार के आंकड़ों और फिर डेटा एनालिसिस के साथ मौसम भविष्यवाणी होती है। साथ ही हाई-स्पीड कंप्यूटर, मौसम संबंधी उपग्रह और मौसम रडार अहम भूमिका निभाते हैं। इनके जरिए सटीक डेटा प्राप्त करने में मदद मिलती है और धीरे धीरे इन टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है और उसका नतीजा है कि मौसम विभाग का अनुमान सटीक होता जा रहा है।
औसत से 37 फीसदी ज्यादा बरसात
राजस्थान में अब तक मानसून की स्थिति देखे तो यह सामान्य से 36 फीसदी ज्यादा बरसात हो चुकी है। सामान्यत: एक मानसून सीजन में एक जून से मानसून समाप्ति तक 415MM औसत बरसात होती है, लेकिन इस बार 17 सितम्बर तक औसतन 566.6MM बरसात हो चुकी है। पिछले 11 साल की स्थिति देखे तो ये तीसरी सबसे ज्यादा बरसात वाला सीजन रहा है। इससे पहले साल 2019 (583.6 MM) और साल 2011 (590.4MM) में ही ज्यादा बारिश हुई है।
आगे क्या: देरी से विदा होगा मानसून
मौसम केन्द्र जयपुर की माने तो इस साल भी मानसून अपने निर्धारित समय से देरी से विदा होने की संभावना है। राजस्थान में मानसून की विदाई सामान्यत: 17 सितम्बर से शुरू हो जाती है और 30 सितम्बर तक पूरी तरह राज्य में मानसून चला जाता है। लेकिन पिछले 6 साल से लगातार ऐसा हो रहा है, जब मानसून की विदाई अक्टूबर के महीने में हो रही है।
कलर कोर्ड अलर्ट सिस्टम भी कॉफी पॉपुलर
मौसम विभाग की ओर से कई मौकों पर येलो, ऑरेंज व रेड अलर्ट की चेतावनी जारी की जाती है, लेकिन ये अलर्ट क्या होतें हैं इन्हें लेकर आम लोगों के बीच कई सवाल रहते हैं। दरअसल, इस कलर अलर्ट सिस्टम बीते करीब 10 साल से ही पॉपुलर हुआ है। जानकारी के अनुसार सबसे पहले इस तरह के अलर्ट यूके ने वर्ष 2016 में देना स्टार्ट किया था। इसके बाद इंडिया सहित कई देशों ने इसे अपनाया।
- येलो अलर्ट या चेतावनी का मतलब होता है कि आप बताए इलाके या रूटीन को लेकर सचेत रहें। कुछ सावधानियां बरतें। इस अलर्ट को जारी करने का मकसद वास्तव में लोगों को सतर्क करना होता है। मौसम के हाल को देखते हुए आपको जगह और अपने मूवमेंट को लेकर सावधान रहना चाहिए।
- विभाग जब ऑरेंज अलर्ट जारी करता है, तो इसका मतलब होता है कि अब आप और खराब मौसम के लिए तैयार हो जाएं। जब मौसम इस तरह की करवट लेता है, जिसका असर जनजीवन पर पड़ सकता है, तब ये अलर्ट जारी किया जाता है।
- बेहद गंभीर स्थितियों में रेड अलर्ट जारी किया जाता है, इसलिए यह कम ही होता है. फिर भी, रेड अलर्ट का मतलब होता है कि जान माल की सुरक्षा का समय आ चुका है। अक्सर इस अलर्ट के बाद खतरे के ज़ोन में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जाता है। मौसम के मुताबिक सुरक्षा के इंतज़ाम किए जाते हैं, जैसे गर्मी के मौसम में अगर रेड अलर्ट जारी हो तो आपको घर से बाहर नहीं निकलने और ज़रूरी इंतज़ाम करने की हिदायत होती है।