श्रीगंगानगर..गांव 16 बीबी के पास बुधवार रात हुए सड़क हादसे दो लोगों की मौत के बाद दोनों के गांव 12-13 बीबी में परिजनों का बुरा हाल है। हादसे में मारा गया मिस्त्री गौरीशंकर 13 बीबी का रहने वाला है जबकि मजदूर निर्मलसिंह 12 बीबी का रहने वाला है।
इकलौता कमाने वाला था गौरीशंकर
हादसे में मारे गए गांव 13 बीबी के गौरीशंकर के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गौरीशंकर परिवार में अकेला कमाने वाला था। अब उसकी मौत के बाद परिवार को लालन-पालन की चिंता सता रही है। परिवार में गौरीशंकर की पत्नी है वहीं उसके छह बेटियां भी है। गांव में सन्नाटा पसरा है। गांव के हर व्यक्ति के मन में एक ही चिंता है कि आखिर अब परिवार का क्या होगा।
परिवार में मां, पत्नी और बेटियां गांव तेरह बीबी के ग्रामीणों ने बताया कि परिवार में अब उसकी बूढ़ी मां, पत्नी और छह बेटियां है। इसके पिता का कुछ समय पहले निधन हो गया था। गौरीशंकर का एक भाई भी है जो परिवार से अलग रहता था। वहीं गौरीशंकर मेहनत मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करता था। उसकी सबसे बड़ी बेटी करीब पंद्रह वर्ष की है जबकि सबसे छोटी अभी महज दो वर्ष की है।
परिवार कर रहा था लौटने का इंतजार जिस समय रात को हादसा हुआ गौरीशंकर के परिवार के लोग उसके लौटने का इंतजार कर रहे थे। वह गांव 24 बीबी में मिस्त्री का काम करने गया हुआ था। परिवार को उसके लौट आने की उम्मीद थी लेकिन परिजनों को मिली हादसे की सूचना। परिवार के लोगों को देर रात दोनों युवकों के घायल होने की जानकारी दी गई। सुबह शव घर लाने से पहले दोनों के परिजनों को उनकी मौत की जानकारी दी गई।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हादसे के बाद से गौरीशंकर की पत्नी, मां और बेटियों का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि गौरीशंकर अब इस दुनिया में नहीं है। मां और पत्नी बार-विलाप कर रही हैं। आसपास की औरतें उन्हें संभालती हैं लेकिन दुख का पहाड़ सहने के लिए उनके आंसू कम पड़ते नजर आ रहे हैं। दोपहर बाद गांव में गौरीशंकर का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
निर्मल के परिवार में भी मातम
वहीं पास ही गांव 12 बीबी के जिस युवक की हादसे में मौत हुई, उसके परिवार में भी मातम का माहौल था। निर्मलसिंह अविवाहित है तथा उसके एक भाई और बहन और है। उसकी मौत के बाद से परिवार का हर सदस्य दुखी है। परिवार के लोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा कि उनका निर्मल अब उनके बीच नहीं है। उसका शव भी दोपहर बाद उसके गांव पहुंचा, जहां उसका संस्कार कर दिया गया।