बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने शनिवार को विश्वविद्यालय प्रभार क्षेत्र वाले छह जिलों के किसानों से ‘कुलपति-कृषक ई-संवाद’ कार्यक्रम के तहत वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की।
 उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण भलेही पूरी दुनिया रुक गई है, लेकिन खेती और पशुपालन कभी नहीं रुक सकते। उन्होंने कहा कि किसान भी सच्चे ‘योद्धा’ हैं, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी पसीना बहा रहे हैं। कुलपति ने कहा कि मरुक्षेत्र के लोग बूंद-बूंद पानी की कीमत जानते हैं तथा इसका सदुपयोग करते हैं। मानसून के दौरान बरसाती जल का भंडारण भी ग्रामीण क्षेत्रों की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में होना चाहिए।
कुलपति ने कहा कि किसान अपने-अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केन्द्रों के संपर्क में रहें तथा तकनीकी ज्ञान प्राप्त करें। विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिमाह की जाने वाली कृषि गतिविधियों की जानकारी दी जाती है। इनका लाभ उठाएं। उन्होंने बताया कि केवीके द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से हजारों किसानों को जोड़ा गया है तथा तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान किया जाता है।
आॅनलाइन प्रशिक्षणों की पहल
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा लाॅकडाउन के दौरान किसानों को आॅनलाइन प्रशिक्षण दिए जाने की पहल भी की गई है। विश्वविद्यालय, कृषि एवं कृषक कल्याण के उद्देश्य के साथ सतत रूप से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसान खरीफ की बुवाई की तैयारी कर लें तथा जिस फसल की बुवाई करनी है, उसके उन्नतशील बीज पहले ही मंगवाकर रख लें। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बीजों की जानकारी भी दी।
नवीन तकनीकों और समन्वित खेती पर जोर
कुलपति ने किसानों से कृषि की परम्परागत विधियों के साथ नवीन तकनीकें अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज का दौर समन्वित खेती की ओर बढ़ने का है। कृषि के साथ पशुपालन और उत्पादों का मूल्य संवर्धन एवं इनका विपणन भी आज की प्रमुख आवश्यकता है। कृषि की लागत में कमी आए और लाभ बढ़े, यह हमारा मूल ध्येय है। किसान आत्मनिर्भर बनें और देश के विकास में भागीदारी निभाएं, तभी ऐसे प्रयास सार्थक होंगे।
एडवाइजरी की पालना हो
कुलपति ने कहा कि वर्तमान दौर बेहद चुनौतीपूर्ण है, लेकिन किसानों को खेतों में काम करना पड़ेगा। इसके मद्देनजर केन्द्र एवं राज्य सरकार की एडवाजरी का पालन करते हुए किसान काम करें। ‘सोशल डिसटेंसिंग’ एवं सभी अन्य सावधानियां रखें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सदैव किसानों के कल्याण के लिए कार्य करता रहेगा। प्रो. सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा किसान कल्याण के विभिन्न कार्यों की जानकारी दी।
किसानों ने दिए सुझाव
कांफ्रेंसिंग के दौरान बीकानेर के किसान शंभूसिंह और जयनारायण ने मूंगफली के उन्नत तकनीनी के प्रशिक्षण देने, चांदगोठी(चूरू) के सूबेसिंह और सत्यवीर सिंह ने अच्छी नस्ल के बीज उपलब्ध करवाने और विपणन की व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने, पदमपुर के बृज मोहन पूनिया, इंद्रसेन और संदीप पारीक ने जैविक उत्पादन पर जोर देने और इनके विपणन की संभावनाओं पर काम करने का सुझाव दिया।
वहीं जैसलमेर के जैसाराम ने मुर्गियों के अंडे से चूजे बनाने संबंधी प्रशिक्षण देने, पोकरण के पुखराज, जयपाल और रेवतराम पंवार ने बारानी फसलों के उन्नतशील बीज उपलब्ध करवाने, झुंझुनूं के रामनारायण ने मंडी विपणन से जुड़ी समस्या के बारे में जानकारी दी। वहीं लूणकरनसर के पालसिंह और नेतराम गोदारा ने कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना का सुझाव दिया।
इस दौरान प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा, आइएबीएम निदेशक डाॅ. मधु शर्मा मौजूद रहे।