पिछले दो विधानसभा चुनाव में अस्सी प्रतिशत स्वतंत्र प्रत्याशियों की हुई जमानत जब्त। इस बार भी सत्तर फीसदी से ज्यादा स्वतंत्र प्रत्याशियों को लेकर लगाए जा रहे हैं कयास।
बीकानेर। प्रदेश में नई सरकार के गठन को लेकर आधे से ज्यादा काम तो पूरा हो चुका है, अब शेष रहा आधा काम 11 दिसम्बर को पूरा होना है।
सरकार किसी भी राजनीतिक दल की बने, लेकिन एक बात तो तय है कि प्रदेश में अभी तक निर्दलीय या तीसरे मोर्चे के प्रत्याशी मतदाताओं की पसन्द नहीं बन सके हैं। हालांकि इस बार प्रदेश में तीसरा मोर्चा मजबूत हुआ है।
पिछले दो विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो जनता अस्सी प्रतिशत निर्दलीय और तीसरे मोर्चे के प्रत्याशियों की जमानत जब्त कराती आ रही है।
भारत वाहिनी और रालोपा से उम्मीदें
भाजपा से बागी उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल और घनश्याम तिवाड़ी
से इस बार मतदाताओं को उम्मीद है। दोनों ही नेताओं ने नई पार्टी का गठन कर करीब एक सौ बीस से भी ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। एग्जिट पोल की माने तो दोनों नेताओं की ये पार्टियां करीब पांच से नौ सीटों पर कब्जा जमा सकती हैं।
दस वर्षों से बन रहे हैं समीकरण
वर्ष-2008 विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 2194 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। इनमें से 78.51 फीसदी यानि 1730 और वर्ष-2013 विधानसभा चुनाव में 2296 प्रत्याशियों में से 80.04 प्र्रतिशत यानि 1843 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
इस बार तीसरे मोर्चे की आहट काफी पहले ही बन गई थी। भाजपा से बागी घनश्याम तिवाड़ी और हनुमान बेनीवाल ने अपनी-अपनी पार्टी बनाई और गठबंधन से चुनाव लड़ा है। देखना यह है कि इस बार तीसरा मोर्चा कितना कारगर साबित होता है।