देवेन्द्रवाणी न्यूज,बीकानेर। मजदूरों के होनहार बच्चों को छात्रवृत्ति देने के उद्देश्य से शुरू की गई सरकार की निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना जिलेे में फेल होती नजर आ रही है। इससे निर्माण श्रमिकों के बच्चों को पढ़ाई में भी आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। स्थिति ये है पिछले तीन साल से यानि कोरोना काल के बाद बच्चों को शिक्षा के नाम पर छात्रवृत्ति नहीं मिली है। उधर, बजट के अभाव में अब तक श्रमिकों के बच्चों की छात्रवृत्ति नहीं आ पाई है।प्रदेश सरकार की ओर से भले ही श्रमिकों के कल्याण के लिए योजनाएं संचालित कर लाभ पहुंचाने के दावे किए जा रहे हो मगर जिले में यह दावे धरातल पर साकार नहीं हो पा रहे है। ऐसे ही राज्य सरकार ने निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना शुरू की थी लेकिन यह जानकारी कारगर साबित नहीं हो रही है।
ई-मित्र के लगा रहे चक्कर
गरीब, पिछड़े और मजदूर तबके को लाभ देने के लिए बनी सरकारी योजनाओं के लिए ऑन लाइन प्रक्रिया सुगमता के लिए आई लेकिन अब जंजाल बनने लगी है। ऑन लाइन की प्रक्रिया के लिए आवेदक को ई-मित्र के चक्कर कर काटना पड़ रहा है। जैसे पहले कार्यालयों के पड़ते थे। इसमें खामी रहने पर संबंधित के मोबाइल व ईमेल पर त्रुटिपूर्ति का संदेश आता है लेकिन यहां फिर मामला अटक जाता है। वह फिर ईमित्र तक पहुंचता है।
आठ से 30 हजार तक मिलती है छात्रवृत्ति
यह योजना राजस्थान श्रम विभाग से जारी की गयी है। इसका उद्देश्य गरीब श्रमिको के बच्चो की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देना है। इस योजना के अंतर्गत निर्माण श्रमिक के बच्चो को 8 हजार से 30 हजार रुपए तक अलग-अलग श्रेमियों में प्रतिवर्ष छात्रवर्ती दी जाती है। इसके सहयोग से श्रमिको के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। योजना के तहत कक्षा छह से 12वीं तक 8 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाती है। वहीं इससे अधिक शिक्षा वाले विद्यार्थियों को ज्यादा राशि मिलती है।