कोविड सेन्टरों में जाने से इसलिए कतरा रहे है संक्रमित,जाने क्या है माजरा

बीकानेर। एक ओर कोरोना की रफ्तार बीकानेर में थमने का नाम नहीं ले रही है और प्रतिदिन पचास से ऊपर मरीज सामने आ रहे है। लेकिन जिला व पीबीएम प्रशासन की व्यवस्थाओं की पोल खोल रहा है। कोरोना मरीजों को समूचित व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासनिक दावे नकारा साबित हो रहे है। जानकारी मिली है कि कोविड सेन्टरों में जाने से अब मरीज कतराने लगे है और होम आईसोलेशन के लिये सीएमएचओ और उनकी टीम से आग्रह करते नजर आ रहे है। इसको लेकर एक बड़ी  वजह सामने आई है। बताया जा रहा है कि सुपर स्पेशलिटी सेन्टर में संक्रमित मरीजों को घंटों बाहर खड़ा रहना पड़ता है। उन्हें न तो पलंग की व्यवस्था हो रही है और न ही समय पर खाने की। पता चला है कि सोमवार को आएं दो से तीन पॉजिटिव को जब शाम को सुपर स्पेशलिटी ले जाया गया। तो उन्हें करीब दो घंटे से ज्यादा एम्बूलेंस में ही बैठाएं रखा। बाद में उन्हें सुपर स्पेशलिटी में के बाहर अपने पलंग के लिये इंतजार करना पड़ा। ऐसे मरीजों में सीनियर सिटीजन भी शामिल है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर में पता चला है कि रविवार की  रात को भी एक ऐसा ही मामला सामने आया। जिसमें शाम को मरीज आने के बाद उसे चार घंटे पार्क में ही बैठकर इंतजार करना पड़ा। न तो उसे खाने की व्यवस्था हुई और सोने के लिये पलंग। आखिरकार इस मरीज ने अपने परिजनों को सूचना दी और खाना मंगवाया। जिसके बाद वहां कुछ देर माहौल भी गर्मा गया था। पीबीएम स्थित सुपर स्पेशलिटी और अन्य कोविड सेन्टरों की अव्यवस्था को लेकर अब पॉजिटिव आने वाले मरीज होम क्वारेन्टाइन की जिद कर रहे है। उनकी ऐसी जिद कही न कही सही भी प्रतीत हो रही है।
कोई सुध लेने वाला नहीं
मंजर यह है कि कोविड-19 को लेकर न तो  जिले के राजनेता और न ही जिले के आलाधिकारी गंभीर है। महज दिखावें के तौर पर एसी कमरों में बैठकें कर सरकार को  फीडबैक दे रहे है। मजे की बात यह है कि उनके इन गलत फीडबैक को सही मानकर चिकित्सा मंत्री और स्थानीय मंत्रीगण भी कोविड सेन्टरों में व्याप्त अव्यवस्थाओं को नजर अंदाज कर रहे है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर बीकानेर की सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहां दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। उसको लेकर कोई ठोस उपाय नहीं किये जा रहे है। न तो कफ्र्यू की अनुपालना करवाई जा रही है और न ही सरकारी एडवाजरी की। कोरोना व्यवस्थाओं को लेकर कागजी घोड़े ही दौड़ रहे है।

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