बीकानेर। स्थानीय गर्वमेन्ट प्रेस रोड स्थित गोपीनाथ मंदिर में रविवार को रामलीला महेंद्र सिंह राजपुरोहित की स्मृति में शहरी जन कल्याण सेवा संस्थान एवं श्री राम रामलीला कमेटी के तत्वाधान में चल रही रामलीला आखिरी चरण में है। सोमवार को लीला के नौवें दिन पात्रों के अपने बेहतरीन अभिनय ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इस दौरान लक्ष्मण शक्ति के दृश्य ने सबको भावविभोर क र दिया।
लीला मंचन की शुरुआत श्रीराम एवं रावण के दूतों के बीच युद्ध से हुई। इसके तहत सर्वप्रथम घु्रम राक्षस का वध का मंचन किया गया, जिसके बाद व्रजात राक्षस भी मारा जाता है। अपने दो-दो राक्षसों के मारे जाने से रावण का पारा उबाल लेने लगता है। ऐसे में रावण अपने अकंपन राक्षस को युद्धभूमि में भेजता है, लेकिन अकंपन के साथ अश्वकर्ण का भी वध हो जाता है। लेकिन,जब प्रहस्त का भी वध हो जाता है, तो रावण को हारकर मेघनाद को युद्धभूमि में भेजना पड़ता है। जिससे रावण बेहद दुखी और व्याकुल हो जाता है।
कुंभकरण को छह माह की नींद से जगाने के प्रसंग के साथ रामलीला मंचन की शुरूआत होती है। कुंभकरण दरबार में जाते हैं तो रावण उन्हें युद्ध का पूरा वृतांत बताते हैं, इस पर कुंभकरण श्रीराम को भगवान बताते हुए युद्ध से इनकार कर देते हैं, रावण के क्रूद्ध हो जाने पर कुंभकरण युद्ध को जाते हैं। श्रीराम से युद्ध के दौरान कुंभकरण का वध हो जाता है। इधर, मेघनाद द्वारा किए जा रहे यज्ञ को लक्ष्मण भंग कर देता है, जिससे मेघनाद क्रूद्ध हो उठता है और लक्ष्मण को युद्ध के लिए ललकारता है। जब मेघनाथ कहते है लक्ष्मण से कि ये युद्ध स्थल है वीरों का बच्चों का खिलवाड़ नहीं है धारे है कृपाणी की मिष्टानों का बाजार नहीं।
तो लक्ष्मण कहते है लंक पर रघुकुल की कामना इस कारण आकर कडकी है। ऋषियों की यज्ञओं की ज्वाला बदला लेने भड़की है। इन सब प्रसंगों का मनोहारी मंचन देखने को मिला। आयोजक खुशालचंद व्यास ने बताया कि गोपाल सारस्वत ने राम, राम राजपुरोहित ने लक्ष्मण की भूमिका,देवीसिंह राठौड ने रावण,विवेक दावडा ने हनुमान,तरूण शर्मा ने विभिषण,आनंद सिंह भाटी ने मेघनाथ,किशन स्वामी ने अंगद,कल्याण सिंह ने कुंभकरण की भूमिका निभाई। कमेटी अध्यक्ष डॉ मेघराज आचार्य व संगीता शेखावत ने रामलीला में पद्यारे अतिथियों बृजमोहन सिंह भाटी,सुशील यादव,दिवाकर,संत योगी नाथ,भरत प्रकाश श्रीमाली का अभिनंदन किया।