सात दिवसीय प्रायोगिक वर्चुअल वेबिनार का समापन
बीकानेर। बेसिक पी.जी महाविद्यालय, नया शहर में साप्ताहिक वेबीनार का समापन किया गया। इस कार्यक्रम की संयोजक एवं महाविद्यालय उप-प्राचार्य डॉ. सीमा चावला ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन माध्यम से प्रायोगिक कार्य करने का निश्चय किया गया। सात दिवसीय प्रायोगिक वर्चुअल वेबीनार के दौरान विद्यार्थियों ने सकारात्मक रूप से अपनी सहभागिता निभाई और इन सात दिवसों में सभी विद्यार्थियों ने ऑनलाइन माध्यम से विज्ञान के कुछ ऐसे प्रयोग जाने देखे समझे जो उनके रोजमर्रा के जीवन में बहुत विशेष योगदान रखते हैं। उप-प्राचार्य और रसायनविभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सीमा चावला, सहायक आचार्य श्रीमती मीनाक्षी पुरोहित एवं सहायक आचार्य मोहित गहलोत ने मिलकर स्पेक्ट्रोफोटोमीटर से शर्करा विलयन की सान्द्रता ज्ञात करना, पीएच मीटर का अंशांकन करना और इस युक्ति के प्रयोग के द्वारा किसी भी पदार्थ के पीएच को ज्ञात करना, कीप्स उपकरण में हाइड्रोजन गैस एवं हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का निर्माण करना, विभिन्न धनायनों के ज्वाला के रंग से पहचान करना, ऊध्र्वपातन विधि से नेफ्थलीन का शुद्धिकरण करना, पदार्थ का क्वथनांक व गलनांक, कार्बनिक यौगिक की पहचान करना दूध में से बेंमपद प्रोटीन और तंबाकू से निकोटीन को अलग करना, तेल का साबुनीकरण मान निकालना सिखाया। प्राणिशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. रमेश पुरोहित एवं सहायक आचार्य सौरभ महात्मा द्वारा प्राणिशास्त्र के उद्विकास दृष्टि से टेट्रापोडा के कपालो एवं कंकालों का तुलनात्मक अध्ययन, प्रॉन के तंत्रिका तंत्र का विच्छेदन कर उसका प्रदर्शन, पेलीमोंन के उपांगों का विच्छेदन कर उनके बाह्य रूप से उनके उपांगों का होमोलॉजी का विस्तृत अध्ययन, दिए गए रुधिर नमूने में रक्त समूह की पहचान एवं रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन की मात्रा का प्रेक्षण कर ज्ञात करना एवं जल में क्लोराइड की मात्रा का प्रेक्षण करना आदि सिखाया गया। वनस्पति विज्ञान की सहायक आचार्य श्वेता पुरोहित ने मरुद्भिदीय पादपों में पारिस्थितिकी अनुकूलन, धतूरा और आक के पुष्प का विच्छेदन तथा अनावर्तबीजी पादपों में सायकस के पर्णक की आंतरिक सरंचना के बारे मे सिखाया।
समापन सत्र के दौरान महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव अमित व्यास ने बताया कि जब भी ज्ञान की बात आती है तो विभिन्न प्रकार के ज्ञान होते हैं और प्रत्येक प्रकार के ज्ञान को अधिग्रहण करने के विभिन्न तरीके होते हैं। एक तरफ सिद्धांत है और दूसरी तरफ सिद्धांत का व्यावहारिक अनुप्रयोग है। हम एक रूप या दूसरे को दरकिनार नहीं कर सकते। दोनों प्रकार के ज्ञान महत्वपूर्ण हैं और आप जो भी करते हैं, दोनों ही आपको बेहतर बनाते हैं। चाहे वह सैद्धांतिक हो या व्यावहारिक ज्ञान, दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। दोनों एक-दूसरे के साथ काम करते हैं और भले ही हम एक रूप से समझौता करने का फैसला करते हैं, लेकिन आपके करियर से संबंधित होने पर जोखिम की एक बड़ी मात्रा होती है। जो लोग वास्तव में जीवन में आगे बढऩा चाहते हैं, उन्हें स्पेक्ट्रम के दोनों सिरों पर ज्ञान प्राप्त करना होगा और इसे विभिन्न तरीकों से हासिल करना होगा। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने बताया कि हमारे दिन-प्रतिदिन के काम में व्यावहारिक ज्ञान का अधिक उपयोग पाया जाता है। बहुत सी चीजें हैं जो आप केवल करने और अनुभव करने के माध्यम से सीख सकते हैं, कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप सैद्धांतिक साधनों के माध्यम से सीखने की कितनी कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप यह जानने का प्रयास करते हैं कि कैसे सैद्धांतिक तरीकों से कार चलाना है, तो आप शायद अपना पूरा जीवन सीखने में बिताएंगे और फिर भी बिना उचित व्यावहारिक प्रशिक्षण के गाड़ी चलाने में सक्षम नहीं होंगे, इसलिए व्यावहारिक होना आवश्यक है। जहां एक वैक्यूम के विचार में सिद्धांत अक्सर पढ़ाया जाता है, व्यावहारिक जीवन की वास्तविकता के माध्यम से सीखा जाता है। डॉ. पुरोहित ने इस शानदार साप्ताहिक प्रायोगिक वेबीनार की सराहना करते हुए भागीदार रहे सहस्त्र विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और सभी विषयों के सहायक आचार्यों को उनके द्वारा किए गए प्रयासों एवं समर्पण भावना के साथ इस सफल कार्यक्रम के लिए बधाईयां दी और बताया कि महाविद्यालय हमेशा छात्र हितों के कार्यों के लिए प्रयासरत रहा है और आगे भी निरन्तर अपने प्रयास जारी रखेगा। इस वेबिनार के दौरान महाविद्यालय व्याख्याता वासुदेव पंवार, नरेश व्यास,अनिल रंगा आदि उपस्थित रहे।