सुमित व्यास, बीकानेर। संसद में सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वे से स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना चुनौती भरा काम है। बात करे बजट के बाद प्रतिकिया की तो हमेशा की तरह कांग्रेस ने बजट को गलत साबित किया वहीं अगर राजस्थान का बजट पेश होता तो भाजपा बजट को गलत बताने में पीछे नहीं रहती क्योकि नेताओं के लिए देश नहीं पार्टी सर्वोपरि है। देश के हालात ये है कि बजट पर सटीक प्रतिकिया देना वाला कोई है भी या नहीं क्योंकि नेताओ के अलावा अब आम जनता और इकोनॉमिस्ट भी अब जिस पार्टी की विचारधारा से जुड़े होते है वैसी ही प्रतिक्रिया देने में नहीं चूकते। बात करे विशेषज्ञों की तो वो भी बजट पर सटीक प्रतिक्रिया नहीं दे पाते जिसका मुख्य कारण है देश की राजनीती और राजनैतिक पार्टियां जिससे विशेषज्ञों की सोच में परिवर्तन ला दिया है। केंद्र के बजट पेश होने के बाद शहर के नामचीन बने नेताओं ने अपनी अपनी पार्टी के पक्ष में बजट को सही और गलत साबित करने के लिए समचार पत्रों, वेब पोर्टलों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जमकर सहारा लिया इससे होता सिर्फ इतना है की इन नेताओ का पार्टी के प्रति रिपोर्ट कार्ड थोड़ा अच्छा बन जाये और आलाकमान तक फीडबैक पहुंच जाये तो कुछ लोगों ने पार्टी के लिए वफादारी निभाते हुवे नेता न होने पर भी प्रतिकिया दे डाली।