राजस्थान के लूणकरणसर के करणीसर गांव में अग्निवीर शंकर दास की मौत से पूरे गांव में शोक छा गया। शंकर, जो अग्निवीर ट्रेनिंग के सात महीने पूरे कर घर लौटने वाला था, उसकी ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई। पिता कानदास ने बेटे के स्वागत के लिए पूरे घर की सजावट करवाई थी और गांववालों को न्योता दिया था।

घर आने से पहले आई मौत की खबर

शंकर दास की ट्रेनिंग 30 अप्रैल को शुरू हुई थी और 2 दिसंबर को समाप्त होनी थी। वह 3 दिसंबर को घर आने वाला था। पिता ने गर्व से पूरे गांव में बेटे के आगमन की घोषणा कर दी थी। लेकिन, 5 दिन पहले आई मौत की खबर ने पूरे परिवार और गांव को गहरे शोक में डाल दिया।

मां का विलाप और परिवार का गम

शंकर की शादी नहीं हुई थी और उनका एक छोटा भाई है, जो अभी पढ़ाई कर रहा है। मां संतोष देवी बेटे का नाम पुकारते हुए बार-बार बिलख रही थीं। पिता ने कहा, “बेटे को एक भी छुट्टी नहीं मिली। सोचा था, घर लौटेगा तो उसे गले लगाएंगे, लेकिन अब तो बात तक नहीं कर पाएंगे।”

गांव ने दी श्रद्धांजलि

शंकर का पार्थिव शरीर सुबह लूणकरणसर पहुंचा। पंचायत समिति प्रधान सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने राजपुरा फांटा पर शव को श्रद्धांजलि दी। युवाओं ने “शंकर दास अमर रहे” के नारे लगाए। गांव के विभिन्न स्थानों से होते हुए पार्थिव देह उनके गांव करणीसर पहुंची, जहां अंतिम विदाई दी गई।

समर्पित अग्निवीर की विदाई

शंकर दास को पूरे सम्मान के साथ विदा किया गया। गांव के हर व्यक्ति ने पुष्प अर्पित कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उनकी असामयिक मृत्यु से परिवार और क्षेत्र में गहरा शोक है।