बिसलेरी विज्ञापन से शिक्षकों को चढ़ा गुस्सा, शिक्षकों से ज्यादा ऊंट को समझदार बताना मूर्खता भरा विज्ञापन,पढ़े

बीकानेर। बिसलेरी के एक विज्ञापन ने राजस्थान के शिक्षकों का गुस्सा चढ़ा दिया है। इसमें शिक्षकों से ज्यादा ऊंट को समझदार बताने पर टीचर्स ने कहा है कि यह विज्ञापन मूर्खता भरा है। शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं, शिक्षकों के सम्मान में धौलपुर कलेक्टर ने कोविड सेंटर में मटके रखकर यह संदेश दिया कि इससे शुद्ध पानी कहां है? उधर, शिक्षक रणनीति बनाकर इस अपमान का मुंह तोड़ जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही, मटके की महिमा के बारे में बताने लगे हैं।

ये स्क्रीन शॉट बिसलेरी के विज्ञापन का है, जिसे सोशल मीडिया से लिया गया है। इसी एड पर शिक्षक नाराज हैं। - Dainik Bhaskar

आमतौर पर कॉपरेट कंपनियों के विज्ञापन आम आदमी को सीख देने वाले होते हैं। लेकिन इस बार बिसलेरी का विज्ञापन टीचर्स की नाराजगी का कारण बन गया है। टीचर्स का कहना है कि विज्ञापन में न सिर्फ शिक्षकों के प्रति आपत्तिजनक भाषा बोली गई है, बल्कि उनके ज्ञान पर भी सवाल खड़ा किया गया है। विज्ञापन में ऊंटों को स्टूडेंट्स के तौर पर दिखाया गया, जो अपने टीचर को हे! मास्टर का संबोधन कर रहे हैं और उन्हें “कांटेक्टलेस” शब्द के बारे में जानकारी नहीं होने का मखौल उड़ा रहे हैं। विज्ञापन में मटके के पानी का मजाक उड़ाया गया है। शिक्षक संगठनों ने इस विज्ञापन को मूर्खता भरा बताते हुए बिसलेरी का बहिष्कार करने की घोषणा की है।

रेतीले धोरों के बीच फिल्माया गया विज्ञापन
इस विज्ञापन पर देशभर के टीचर्स विरोध दर्ज करा रहे हैं, लेकिन राजस्थान के शिक्षकों में सबसे ज्यादा आक्रोश है। दरअसल, विज्ञापन में राजस्थान के शिक्षकों को ही टारगेट किया गया है। ऊंट राजस्थान में ही ज्यादा पाए जाते हैं और मास्टरजी शब्द भी ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। रेतीले धोरों के बीच फिल्माए इस विज्ञापन के विरोध में सोशल मीडिया पर #boycottbisleri अब ट्रेंड करने लगा है।

धौलपुर कलेक्टर भी बोले #boycottbisleri
उधर धौलपुर कलेक्टर आर.के. जायसवाल ने भी बुधवार को सोशल मीडिया पर #boycottbisleri अभियान का समर्थन किया। जायसवाल ने मटकों का फोटो शेयर करते हुए लिखा- सदियों से पीते आ रहे हैं मटका का पानी… मटके हैं भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा… कोविड केयर सेंटर पर भी मटकों के माध्यम से की गई है पीने के पानी की व्यवस्था… न केवल ठंडा पानी मिलेगा बल्कि जीवाणु रहित भी होगा। उन्होंने हिन्दी और इंग्लिश दोनों भाषा में #boycottbisleri लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है।

शिक्षक संगठन भी आए विरोध में, कहा- वापस लिया जाए विज्ञापन
उधर, शिक्षक संगठनों ने भी इस विज्ञापन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर दी है। राज्य के शिक्षक नेता कल्याण सिंह टेवाली ने भी इस कैंपन का समर्थन करते हुए कहा है कि देश के सभी शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं और कंपनी को विज्ञापन वापस लेने के लिए कह रहे हैं। वहीं, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश मंत्री श्रवण पुरोहित का कहना है कि इस विज्ञापन पर रोक लगनी चाहिए।

राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष भेरुराम चौधरी ने कहा है कि शिक्षक के साथ राजस्थान की संस्कृति का अपमान किया गया है। मटके के पानी में सारे सॉल्ट उपलब्ध होते हैं। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश मंत्री रवि आचार्य का कहना है कि हम तो खुद मटके का पानी पीते रहे हैं। ऐसे में राजस्थान की संस्कृति का मखौल न उडायें। शिक्षक ने ही आपको पढ़ना सिखाया, उसी का मजाक उड़ाना निंदनीय है।

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