बीकानेर। स्थानीय गर्वमेन्ट प्रेस रोड स्थित गोपीनाथ मंदिर में रविवार को रामलीला महेंद्र सिंह राजपुरोहित की स्मृति में शहरी जन कल्याण सेवा संस्थान एवं श्री राम रामलीला कमेटी द्वारा मंचित रामलीला में तीसरे दिन सीता-स्वयंवर, लक्ष्मण-परशुराम संवाद के दृश्य का मंचन किया गया। रामलीला में लक्ष्मण-परशुराम संवाद में कलाकारों के ओजस्वी संवाद शैली ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।
रामलीला मंचन के आरती वंदना के बाद मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि नरेश गोयल विमला ढुकवाल, हरिशंकर आचार्य,मीना आसोपा,शशि वर्मा सोनी व ऋ षिराज व्यास ने पूजा अर्चना की। मंचन के प्रमुख प्रसंगों में विश्वामित्र द्वारा दशरथ से राम-लक्ष्मण को मांगना, यज्ञ की रक्षा, ताड़क ा-सुबाहु वध, अहिल्या उद्धार, सीता स्वयंवर का निमंत्रण व राम द्वारा शिव का धनुष तोडऩा रहा। म ंचन में राम द्वारा सुबाहु का वध मुख्य पात्र रहा। मारिच युद्ध छोड़ कर भाग जाता है।। उसके बाद राजा जनक के निमंत्रण पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को सीता के स्वयंवर में ले जाते हैं। राजा जनक ने शिव के धनुष को तोडऩे की शर्त रखी थी। जैसे ही रामायणी दल ने गाया कि तेहि छन मध्य राम धनु तोड़ा श्री राम ने धनुष को झटका दिया। धनुष तीन टुकड़े हुआ मशालची के इशारे पर तोपची ने तोप दाग दिया।
चारो ओर श्रीराम की जयकार होने लगी। इसके बाद सीता ने श्री राम के गले मे जयमाल डाल दिया। दोनों ने चारों दिशाओं में घूम कर लोगो को दर्शन दिया। चारों तरफ से फूलों की वर्षा हुई। जिसके बाद परशुराम का दरबार में प्रवेश होता है। चारो ओर राजा रामचंद्र की जय का उद्घोष होने लगता है। सीता जी श्रीराम को वरमाला पहनाती है। श्री राम के जयकारे के बाद अभी खुशी के माहौल के बीच महर्षि परशुराम अचानक प्रवेश करते है। अपने आराध्य का धनुष खंड देख उनकी क्र ोध अग्नि भड़क उठती है।
महर्षि परशुराम के क्रोध की ज्वाला से जनकपुरी मे छा जाती हैं खामोशी महर्षि परशुराम का गुस्सा तब और बढ़ जाता है, जब भाई लक्ष्मण का उनसे संवाद होता है। भगवान श्रीराम अपने मृदु स्वभाव से मुनिवर को शांत कर देते है, और परशुराम का सन्देह दूर हो जाता है, फिर वह श्रीराम और सीता जी को आशीर्वाद देकर चले जाते है। उधर जनक जी मण्डप को सजाने की तैयारी के लिए कहते है।
बारात के स्वागत की तैयारियां शुरू हो जाती है। संयोजक खुशालचंद व्यास ने बताया कि प्रभू राम का पात्र गोपाल, सीता के पात्र में सुरेश कुमार, रावण के पात्र में देवी सिंह राठौड़,बाणासुर के रोल में जितेंद्र कुमार,परशुराम के भूमिका में विवेक दावड़ा,लक्ष्मण की भूमिका राम राजपुरोहित तथा जनक की भूमिका मेघराज आचार्य ने निभाई।