शर्त ये भी; जो फीस नहीं दे सकते, स्कूल प्रशासन केस-टू-केस के आधार पर सहानुभूतिपूर्वक फैसला लेगा
जयपुर,
अभिभावकों से 100% स्कूल फीस लेने के साथ निजी स्कूलों के लिए एक और राहत की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसी विद्यार्थी की फीस जमा नहीं होती है तो स्कूल प्रबंधन स्टूडेंट या अभिभावक से अंडरटेकिंग लेंगे कि वे फीस चुका देंगे, इसके बाद 10वीं-12वीं के बच्चों को परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जाएगा। यदि कोई फीस देने की स्थिति में नहीं है तो उसे स्कूल को आवेदन देना होगा।
फिर स्कूल केस-टू-केस सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेगा। अभिभावकों के वकील सुनील समदड़िया ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अंतरिम है न कि अंतिम। इसे संशोधित कराने का प्रयास करेंगे। अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी। उधर, जयपुर स्थित एसएमएस स्कूल के बोर्ड मेंबर दामोदर प्रसाद गोयल ने बताया कि हमने फीस में 20 हजार रुपए की रियायत दी है।
अभिभावक संघ: सुप्रीम कोर्ट का आदेश मनमाना, संशोधित कराने की गुहार करेंगे, कोर्ट में 15 को अगली सुनवाई
अभिभावकों की ओर से संयुक्त अभिभावक संघ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश काे मनमाना और एकतरफा बताया है। संघ के लीगल सेल मंत्री अमित छंगाणी का कहना है कि कोर्ट ने अंतरिम आदेश में यह भी कहा है कि जो अभिभावक फीस जमा नहीं करवा पाएंगे उनके बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी, ना रिजल्ट रोकेंगे, ना प्रमोशन रोक सकते हैं। इससे कन्फ्यूजन खड़ा हाे गया है कि अगर कोई अभिभावक फीस जमा नहीं कराता तो बच्चे की आगे की पढ़ाई का क्या होगा?
एक तर्क ये भी है; जिन्होंने ऑनलाइन क्लास नहीं ली, वे फीस क्यों दें?
अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा- शीर्ष अदालत से अंतरिम आदेश को संशोधित करवाने का आग्रह किया जाएगा। क्योंकि जिन बच्चों ने एक दिन भी ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास ही नहीं ली ताे वे पूरी फीस क्यों दें? इस पर भी विचार करना चाहिए था।
सरकार की दलील; स्कूलों से खर्च का हिसाब मांगा, अब तक नहीं दिया
राज्य के एएजी राजेश महर्षि ने बताया कि मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्होंने स्कूलों के कोरोनाकाल के दौरान शिक्षकों के वेतन, वाहन खर्च सहित आधारभूत ढांचे पर किए गए खर्च का ब्योरा देने के लिए कहा था। लेकिन स्कूलों ने अब तक हिसाब नहीं दिया।
इधर, एक और मार स्कूली ऑटाे-रिक्शा व मैजिक वालों ने भी 30% चार्ज बढ़ाया
अभिभावकों पर एक और मार पड़ने जा रही है। स्कूली ऑटाे-रिक्शा और मैजिक यूनियन वालाें ने 30% तक किराया बढ़ाने का फैसला किया है। यह बढ़ोतरी लागू हुई तो एक हजार रुपए तक का बोझ पड़ सकता है। स्कूलाें में बच्चों काे लाने और छाेड़ने के लिए शहर में करीब 2800 बालवाहिनियां और 25 हजार ऑटाे-रिक्शा चल रहे हैं। पहले इनमें 5 लाख स्टूडेंट्स आ-जा रहे थे।
वजह : पेट्रोल-डीजल 25 रु. महंगा
^मार्च के बाद पेट्रोल-डीजल 25 रु./ली. तक महंगा हुआ है। काेराेना के कारण ऑटाे में 12 स्टूडेंट्स की जगह 6 ही बैठाए जाएंगे।