जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज लगातार इतिहास रच रही है। यहां स्वदेसी डिजाइन और तकनीक से विकसित स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक मिसाइल (SANT) का शनिवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय वायु सेना (IAF) ने संयुक्त ऑपरेशन में यह सफलता मिली है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टीम को बधाई दी है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उच्च तकनीक के साथ स्वदेसी विकास रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर मजबूत कदम है।
10 किलोमीटर तक के लक्ष्य को करेगा बेअसर
वायुसेना के लिए विकसित की गई यह मिसाइल हेलिकॉप्टर से 10 किलोमीटर तक के दायरे में दुश्मन को टारगेट करेगी। इस मिसाइल को DRDO की अलग-अलग लैब के साथ कोऑर्डिनेशन और भागीदारी में हैदराबाद के अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI) ने विकसित किया है। DRDO के अध्यक्ष सतीश रेड्डी ने कहा कि एसएएनटी मिसाइल का सफल परीक्षण स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाएगा। इससे कुछ दिन पहले DRDO ने ओडिशा स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र से सतह से हवा में मार करने वाली ‘वीएल-एसआरएसएएम’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया था, जो भारतीय नौसेना के अग्रिम पंक्ति के पोतों पर तैनात की जाएगी। प्रवक्ता ने बताया कि टेस्टिंग अपने सभी मिशन को पूरा करने में सफल रही।
स्लो मोशन में वीडियो रिलीज किया
डीआरडीओ ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस मिसाइल का स्लो मोशन वीडियो रिलीज किया। इसमें हेलिकॉप्टर से इस मिसाइल को छोड़े जाने की तस्वीरों को देखा जा सकता है। स्वदेशी हथियार निर्माण की शृंखला में SANT मिसाइल का टेस्ट तीसरा परीक्षण है। इसके साथ भारतीय वायुसेना के बेड़े में शक्तिशाली हथियारों की तादाद बढ़ेगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि स्वेदशी रक्षा उपकरण व हथियार उन्नत तकनीक के साथ बनाए जा रहे हैं। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ते कदम हैं।