जयपुर। राजस्थान में पंचायत चुनाव में मिली हार के बाद अशोक गहलोत सरकार को शुक्रवार को करारा झटका लगा है। राज्य में सरकार का समर्थन कर रही भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है। भारतीय ट्राइबर पार्टी के नेता छोटीभाई वासवा ने कहा, ”राजस्थान में गहलोत सरकार से बीटीपी ने अपना समर्थन वापस लेगी।” बीटीपी ने जिला परिषद प्रमुख और पंचायत समिति प्रधान चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी पर ‘हाथ’ मिलाने का आरोप लगाया है।

बीटीपी के प्रदेशाध्‍यक्ष वेलाराम घोघरा के अनुसार, इन दोनों पार्टियों की ‘मिलीभगत’ से वह डूंगरपुर में अपना जिला प्रमुख और तीन पंचायत समितियों में प्रधान नहीं बना पाई जबकि बहुमत उसके पास था। घोघरा ने कहा, ”इस घटनाक्रम से कांग्रेस और बीजेपी, दोनों का असली चेहरा सामने आ गया है। हम राज्‍य की गहलोत सरकार से अपने रिश्‍ते खत्‍म कर रहे हैं।” राजस्थान में बीटीपी के दो विधायक हैं, जिन्‍होंने गहलोत सरकार पर संकट के समय और राज्‍यसभा चुनाव के समय कांग्रेस का साथ दिया था।

बीटीपी का आरोप- बीजेपी और कांग्रेस ने मिलाया ‘हाथ’

बीटीपी की ताजा नाराजगी जिला परिषद प्रमुख व पंचायत समिति प्रधान के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस व भाजपा द्वारा कथित तौर पर ‘हाथ मिलाने को लेकर है। डूंगरपुर जिला परिषद में 27 में से 13 सदस्‍य बीटीपी के जीते, भाजपा के आठ व कांग्रेस के छह प्रत्‍याशी जीते, इसके बावजूद प्रधान के चुनाव में बीजेपी की सूर्यादेवी अहारी ने निर्दलीय के रूप में पर्चा भरा एक वोट से जीत गईं। बीटीपी प्रदेशाध्‍यक्ष घोघरा के अनुसार सात पंचायत समिति में पार्टी के पास बहुमत था और उसके प्रधान बनने थे लेकिन इन दोनों पार्टियों की ‘मिलीभगत’ के चलते वह केवल चार जगह प्रधान बना पाई। यह प्रकरण दो दिन से सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में जहां कुछ लोग बीजेपी-कांग्रेस एक है हैशटैग से इसकी चर्चा कर रहे हैं।