बढ़ता कोरोना:हो जाएं सावधान,फिर से आमजन बेपटरी न हो जाएं

बीकानेर। शादी-ब्याह, त्योहार और अन्य आयोजनों में मशगुल जनता फिलहाल कोरोना से पूरी तरह से बेफिक्र है, लेकिन पड़ोसी देशों के साथ ही प्रदेश और अन्य राज्यों में भी अब दोबारा कोरोना डराने लगा है। अब फिर से यह डर लग रहा है कि कहीं फिर से आम जनजीवन बेपटरी न हो जाए। कोरोना का खतरा फिर से सताने को दहलीज पर तैयार खड़ा है। वहीं, दूसरी बड़ी चिंता ये है कि हर दिन कोरोना अनुकूल प्रोटोकॉल टूट रहे हैं। न कोई मास्क पहन रहा है न ही कोई सामाजिक दूरी का पालन कर रहा है, इसी कारण चिंता दो गुना हो गई है। वहीं, टीकाकरण में भी हम काफी पिछड़ी हुई स्थिति में है, जिस पर काम नहीं हो पा रहा है। इसी कारण यह डर बरकरार है और चिंता ज्यादा बढ़ गई है। खास बात यह है कि जैसे-तैसे कोरोना से बाहर निकलकर आम जन-जीवन ठीक हो पाया था लेकिन वर्तमान हालात फिर से इसे बिगाडऩे पर तुले हैं। इसके लिए जरूरी एहतियात और सावधानी बरतने की फिर जरूरत है।
शादियों में पूरी छूट…. सुपर स्प्रेडर साबित हो रहीं
कोरोना का संक्रमण बढ़ाने, फैलाने का सबसे बड़ा स्त्रोत इन दिनों शादी-ब्याह ही हैं। इनमें उमडऩे वाली भीड़ सुपर स्प्रेडर का काम कर रही है। इधर, शासन ने सभी पाबंदियां खत्म कर दी। पाबंदियां क्या खत्म की लोगों ने मान लिया कोरोना भी खत्म हो गया, और भी ज्यादा बेफिक्र होकर लोग घूमने लगे, नियम तोडऩे लगे। इसी कारण कोरोना को लेकर डर बना हुआ है।
ये प्रयास अभी से किए जा सकते हैं
रेंडम सैम्पलिंग की संख्या बढ़ाई है।
भले ही एक केस न हो मॉस्क जरूर पहनें।
सामाजिक दूरी का पालन भी अनिवार्य रूप से करें।
प्रशासनिक प्रयास और सख्ती पूरी ताकत के साथ की जाए।
बाहर से आने वालों को क्वारेंटाइन करें, उनकी जांच कराएं।
स्कूलों में सर्वाधिक खतरा… व्यवस्थाएं बदलीं
हाल ही में ऑनलाइन से मैनुअल और पूरी क्षमता के साथ खुले स्कूलों के सामने फिर चुनौती आ गई। स्कूलों में भी ज्यादातर बच्चे होने के कारण यहां भी संक्रमण का पूरा खतरा है। इसी कारण राज्य शासन ने त्वरित निर्णय लिए कि ऑनलाइन क्लासेस जारी रखी जाएं, साथ ही स्कूलों में 100 की बजाए 50त्न क्षमता के साथ ही बच्चे पहुंचे। हालांकि स्प्रेड अपनी जगह है लेकिन स्कूलों के बंद होने से बच्चों का भविष्य भी लगातार अधर में है। वहीं, स्कूल संचालकों के सामने भी चुनौती यह है कि आखिर दो साल बाद शुरू हुए स्कूलों को वे दोबारा कैसे मैनेज करेंगे?

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