जयपुर। रीट पेपर लीक करने के सूत्र बोर्ड कार्यालय से भी जुड़े थे। गिरफ्तार हुई गैंग ने पहली बार परीक्षा से पहले सीधे 5 करोड़ रुपए में परीक्षा से पहले पेपर खरीदा था। इसके लिए बाकायदा पूर्व में परीक्षा से पहले पेपर लेने वाले कुख्यात को रीट पर्चा नहीं देने की एवज में अलग से 2 करोड़ रुपए देना भी तय किया गया था। पुलिस मुख्यालय सूत्रों के मुताबिक, रीट पर्चा लीक मामले में मुख्य आरोपियों में रामकृपाल मीणा, भजनलाल विश्नोई और उदाराम विश्नोई ने खुलासा किया कि परीक्षा से करीब एक माह पहले पेपर हथियाने के लिए बातचीत शुरू हो गई थी। 5 करोड़ रुपए में रीट परीक्षा का पेपर बाहर निकालना तय हुआ और उक्त पेपर को चयनित 280 से 300 अभ्यर्थियों को 15-15 लाख रुपए में बेचना तय किया गया था। गिरोह को इन परीक्षार्थियों से 40 से 45 करोड़ रुपए पेपर देने के बदले मिलना था। एनवक्त पर कुछ परीक्षार्थियों को 5 से 15 लाख रुपए में भी रीट पेपर बेचा गया। अनुसंधान अधिकारी इन सबकी पुष्टि करने के लिए जांच कर रहे हैं। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, रीट परीक्षा से पहले पेपर 300 परीक्षार्थियों तक तो पहुंचा है।

पाराशर के अलावा जारोली की भूमिका की भी जांच
एसओजी रीट परीक्षा में जयपुर जिला को-ऑर्डिनेटर डॉ. प्रदीप पाराशर को गिरफ्तार कर प्रकरण में परीक्षा से जुड़े अन्य अधिकारी व लोगों की भूमिका की जांच कर रही है। एसओजी कई घंटे पूछताछ के बाद रविवार रात को पाराशर को गिरफ्तार किया था। एसओजी पाराशर की नियुक्ति और पेपर लीक मामले में बर्खास्त किए गए बोर्ड अध्यक्ष डॉ. डीपी जारोली की भूमिका की जांच कर रही है।

जिला कॉर्डिनेटर पाराशर व तीन अन्य आरोपी 4 फरवरी तक रिमांड पर
एसओजी ने रीट पेपर लीक मामले में डॉ. प्रदीप पाराशर, रामकृपाल मीणा, उदाराम विश्नोई व भजनलाल विश्नोई को सोमवार को गंगापुरसिटी न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी आरोपियों को 4 फरवरी तक रिमांड पर सौंपा है। एसओजी ने पाराशर को रविवार को गिरफ्तार किया, जबकि अन्य तीनों आरोपी पहले से एसओजी के रिमांड पर चल रहे हैं।