बिना नीलामी दे दी खनन की इजाजत
राजस्थान के खनन विभाग ने बिना नीलामी के खनन की इजाजत देकर सरकार को कम से कम 50 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। जांच में यह खुलासा हुआ है और जांच दल की रिपोर्ट विभाग के अतिरिक्त निदेशक ने सरकार को भेज दी है। मिली जानकारी के मुताबिक, खनन विभाग ने अलवर जिले के रामगढ़ और रैणी के 12 पहाड़ों की शॉर्ट टर्म परमिशन (STP) बिना नीलामी के बड़ी फर्मों को दे दी।
अधिकारी अगर यही एसटीपी नीलाम करते तो सरकार को 40 से 50 करोड़ रु. अतिरिक्त मिल सकते थे। ये STP भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाईवे बनाने वाली एचजी इंफ्रा और केसीसी बिल्डकॉन को दी गई है। इसका खुलासा तब हुआ, जब विभाग के एक जांच दल ने अगस्त में यहां आकर जांच की। जांच में STP के आदेश और फर्म के दस्तावेजों पर भी सवाल उठाए गए थे। इस जांच की रिपोर्ट अतिरिक्त निदेशक दीपक तंवर ने सरकार को भेज दी है।
आखिर क्या है घोटाला
सरकार पहाड़ों को लीज पर देती है, जिससे सरकार को पत्थर खनन के बदले प्रति टन के हिसाब से राॅयल्टी मिलती है। लेकिन इसके पहले लीज की नीलामी होती है। ज्यादा बोली लगाने वाले को ही लीज मिलती है। इस बोली से मिलने वाली अतिरिक्त राशि प्रीमियम होती है, जो ज्यादा बोली लगाने वाला विभाग में जमा कराता है। हाल में रामगढ़ में 14 लीज की नीलामी से सरकार को 75 करोड़ रुपए प्रीमियम के रूप मिलेंगे।
ये हैं नियम और संशोधन
अतिरिक्त निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि सरकार ने 2011 में ही सरकारी भूमि को बिना नीलामी के खनन पर रोक लगा दी थी। सरकार ने 2013 में करीब 53 हजार आवेदन भी निरस्त कर दिए थे। 2017 की एमएमसीआर की गाइडलाइन के मुताबिक सरकारी ही नहीं बल्कि निजी भूमि भी खनन के लिए बिना नीलामी के नहीं दी जा सकती। सरकार इस तरह की लीज को निरस्त भी कर सकती है।
नियमों से परे जाकर जारी की एसटीपी
खनन विभाग अतिरिक्त निदेशक दीपक तंवर ने बताया कि एसडीआरआई दल और सतर्कता शाखा दल ने संयुक्त रूप से जांच की। शुरूआत में उदयपुर से शिकायतें मिली थी। इसके बाद अलवर तक पहुंचे। अलवर में करोड़ों की गड़बड़ी मिली। कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना हुई है। सरकारी भूमि पर नियम विरुद्ध एसटीपी जारी की जाकर राजकोष को 50 करोड़ से ज्यादा का घाटा पहुंचाया गया है। इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी जा चुकी है।
ये कहा जिम्मेदारों ने
माइनिंग इंजीनियर केसी गोयल से कहा कि एसटीपी बिना नीलामी के भी दी जा सकती है। इसलिए हमने ऑक्सन नहीं किया। फर्म के पास नेशनल हाईवे का प्रोजेक्ट है इस वजह से इसी फर्म को एसटीपी दे दी गई, क्योंकि फर्म को दूसरी लीज से खनिज खरीदना मंहगा पड़ता। हमारे स्तर पर कुछ गलत नहीं है। पूरी जानकारी आप आरटीआई से ले सकते हैं। सरकारी पहाड़ में भी एसटीपी का नियम है।