जयपुर।
राजस्थान विधानसभा की सात रिक्त सीटों के लिए हुए उपचुनावों के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। ये चुनाव कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा की परीक्षा हैं। इनमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, बीजेपी के किरोड़ी लाल मीणा और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल जैसे नेता शामिल हैं।

मतदान के बाद मतगणना की तैयारी पूरी

23 नवंबर को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी। इसके लिए 141 राउंड की गिनती और 98 टेबल का इंतजाम किया गया है। पोस्टल बैलेट के लिए अलग से 67 टेबल रखे गए हैं। चुनाव आयोग ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 360 डिग्री वीडियोग्राफी की व्यवस्था की है।

सीटवार राउंड की गिनती

  • झुंझुनूं और सालंबर: 22-22 राउंड।
  • रामगढ़: 21 राउंड।
  • देउली उनियारा और खींवसर: 20-20 राउंड।
  • दौसा और चौरासी: 18-18 राउंड।

किस सीट पर कैसा मुकाबला?

सात सीटों में पांच पर त्रिकोणीय मुकाबला है, जबकि दो सीटों पर सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है।

  1. दौसा: यहां किरोड़ी लाल मीणा और सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर है। बीजेपी ने जगमोहन मीणा को, जबकि कांग्रेस ने दीनदयाल बैरवा को मैदान में उतारा है।
  2. खींवसर: आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल के लिए अहम सीट है, जहां उनका दबदबा है।
  3. झुंझुनूं और सालंबर: सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है।
  4. रामगढ़ और चौरासी: यहां स्थानीय दल भी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।

राजनीतिक दांव पर बड़ी प्रतिष्ठा

इन उपचुनावों के नतीजे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों का रुख तय कर सकते हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए यह परीक्षा का समय है, क्योंकि उनकी सरकार को हाल ही में लोकसभा उपचुनावों में झटका लगा था। दूसरी ओर, सचिन पायलट कांग्रेस में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में हैं। हनुमान बेनीवाल की आरएलपी और भारत आदिवासी पार्टी के लिए भी यह चुनाव महत्वपूर्ण हैं।

69 उम्मीदवार मैदान में

सात सीटों पर कुल 69 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। दौसा और रामगढ़ सीटों पर सीधी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। झुंझुनूं सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र गुढ़ा मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।

पार्टी और क्षेत्रीय नेताओं के लिए चुनौतियां

इन उपचुनावों के नतीजे यह तय करेंगे कि कांग्रेस अपनी पकड़ बनाए रखती है या बीजेपी सत्ता वापसी की ओर बढ़ती है। हनुमान बेनीवाल जैसे नेता आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इन चुनावों के नतीजों पर टिकी है, जो राजस्थान की राजनीति का भविष्य तय करेंगे।