बीकानेर। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ एक ओर जहां दिल्ली में किसानों ने मोर्चा खोल रखा है तो वहीं कांग्रेस भी इन कानूनों के खिलाफ फिर से मुखर हो गई है। हालांकि इस बार कांग्रेस ने अपने दस्तों को इस काम के लिए आगे किया है। बुधवार को प्रदेश एनएसयूआई ओर से भाजपा सांसदों के घरों और कार्यालयों के बाहर दिए गए धरने के बाद आज कांग्रेस सेवादल केंद्र जिला स्तर पर सरक ार धरना प्रदर्शन कर रही है। जिसके तहत बीकानेर में जिला कलक्टर कार्यालय के सामने सेवादल की ओर से धरना दिया गया। जिला मुख्य संगठक शिवशंकर हर्ष ने बताया कि राष्ट्रपति को भेजे जाने वाले ज्ञापन में सेवादल ने मांग की है कि इन बिलों के विरोध में प्रदर्शन कर किसानों की चिंताएं और मांगें वास्तव में लोकतंत्र और देशहित में है। तीनों कानून किसान हितैषी न होकर पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के हित में है। इसलिए इन कानूनों को किसानों के हित में वापस लिए जाएं। गौरतलब है कि केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए विरोध पखवाड़ा मनाया था, साथ ही इसके विरोध में देशभर में किसान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था, जिसमें अकेले राजस्थान में 15 लाख किसानों ने इन कानूनों के विरोध में हस्ताक्षर किए थे। धरने पर भरत पुरोहित,नृसि ंह दास व्यास,योगेश पालीवाल,धनसुख आचार्य,खुशी शेख,लालचंद गहलोत सहित अनेक सेवादल कार्यकर्ता शामिल हुए।
किसान महासभा ने फूंका पुतला
उधर अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से जिला कलक्टर कार्यलय के समक्ष प्रदर्शन कर पुतला फूंका। महासभा के जेठाराम लाखूसर का कहना है कि तीनों कानून किसान हितैषी न होकर पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के हित में है। इसलिए इन कानूनों को किसानों के हित में वापस लिए जाएं।
नेशनल हाईवे किया जाम
वहीं एनएसयूआई ने विरोध-प्रदर्शन कर कृषि बिलों को वापस लेने की मांग की। इसको लेकर एनएसयूआई की ओर से नेशनल हाईवे को जाम किया गया। इससे दोनों ओर वाहनों की लंबी लंबी कतारे लग गई। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रामनिवास कूकणा ने बताया कि केन्द्र सरकार अन्नदाताओं के विरोध में बिल लेकर आई है जिसके विरोध में किसान सड़कों पर है। उन्होंने बताया कि एनएसयूआई व कांग्रेस पार्टी इन किसानों इस विरोध प्रदर्शन में शामिल है क्योंकि वे खुद किसान परिवार से तालुक रखते है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार देश की रीढ़ की हड्डी की माने वाले किसान को खत्म करने का काम कर रही है चाहे स्टॉक सीमा की बात हो या चाहे एमएसपी की। उन्होंने बताया कि इन तीनों बिलों में इस प्रकार के नियम थोपे गए है जिसमें किसानों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।