अधिवेषन

बीकानेर। आज राजस्थान आर्कियोलॉजी एण्ड एपिग्राफि काँग्रेस के प्रथम अधिवेषन के अन्तर्गत व्यास कॉलोनी स्थित इन्सटीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडिज,बी.जे.एस रामपुरिया जैन कॉलेज में सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें सर्वप्रथम मुख्य अतिथियों के द्वारा माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत कि गई। तत्पष्चात् मुख्य अतिथियेां का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया।

उद््बोधन भाषण देते हुए मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आई.ए.एस., जयपुर श्रीगिरिराज सिंह कुषवाह ने कहा कि आज एपिग्राफी और पुरातत्व अपने आपमें एक चिंतन का विषय है हमें इस सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन करने कि आवष्यकता है इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा तथा साथ ही सरकार को भी इसमें अपेक्षित सहयोग प्रदान करना होगा। इसी क्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए उदयपुर से पधारे प्रो. जीवन सिंह जी ने कहा कि इस विषय को विष्वविद्यालयों में विषय के रूप में लागू करने की आवष्यकता है ताकि लुप्त होती इस संस्कृति को बचाने की दिषा में यह एक कारगर कदम साबित हो। उद्घाटन कार्यक्रम कि अध्यक्षता करते हुए प्रो. बी.एल. भादानी ने इस नवीन संगठन के बारे में विस्तृत जानकारी व इसके उदेष्य के बारे में बताते हुए कहा कि जीवाष्म युग से वर्तमान तक के इतिहास को आज उजागर करने का यह एक अनुठा प्रयास है। आज विष्वविद्यालय में विभिन्न कलाओं के विकास के लिए इस विषय से संबन्धित म्यूजियम बनाने की भी आवष्यकता है।

इसी क्रम में बी.जे.एस रामपुरिया जैन कॉलेज के मानद् सचिव श्री सुनील रामपुरिया ने अपने मूल्यवान सुझाव देते हुए कहा कि यह अधिवेषन भविष्य में नए आयाम स्थापित करेगा और इसके लिए सभी को मिलकर चलना होगा। महाराजा गंगासिंह विष्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रो. षिवकुमार भनोत ने कहा कि यह एक विषेष सराहनीय कार्य है जो इतिहास के शोधार्थियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। पुरातात्विक दृष्टि से बीकानेर के लिए यह गौरव कि बात है कि जहाँ टैस्सीटोरी ने घूम-घूमकर शोध किया वहीं शोधार्थियों के लिए यह अधिवेषन एक पृष्ठभूमि बनकर उभरेगा।

 

श्री मुरारीलाल शर्मा ने अपने अनुभवों के आधार पर कहा कि आज इतिहास कि दृष्टि से अभिलेख और शैलचित्र शब्दों की सीमा से आगे निकलकर भाव शैली में आ चुके है। उद्घाटन सत्र में डॉ. अनंतजोषी, डॉ. पंकजजैन ने मुख्य अतिथियों का प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अधिवेषन के सचिवडॉ. रीतेषव्यास ने कहा कि यह अधिवेषन इतिहास विषय के उतरोत्तर विकास में एक महत्वपूर्ण कीर्तिमान स्थापित करेगा।

 

अधिवेषन के उद्घाटन के पश्चात् श्री गणेष बैरवाल, डॉ. रीतेषव्यास, डॉ. मुकेषहर्ष, डॉ. गोपालव्यास की तीन फोटो प्रदर्षनियों तथा श्री नृसिंह लाल किराडू के जीवाष्म प्रदर्षनी का उद्घाटन अतिथियों द्वारा किया गया। इसके पष्चात् हुए तकनीकी सत्रों में ममता शर्मा, सैयदसुम्बुल आरीफ, स्वाती जैन, पुर्वा भाटीया, डॉ. अम्बिका ढाका, धर्मजीत कौर, मीना कुमारी और डॉ. पूनाराम ने पत्र वाचन किया। इस कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा पुस्तक प्रदर्षनी भी रखी गई।

अधिवेषन सचिव डॉ व्यास ने बताया कि रविवार को दूसरे दिन दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जाएगा जिसमें दिल्ली और अलीगढ़ से पधारे शोधार्थियों द्वारा पत्र वाचन होगा। तथा दोपहर बाद कला संस्कृति साहित्य और पुरातत्वमंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला की उपस्थिति में अधिवेषन का समापन किया जाएगा।