राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग ने 49 नगरीय निकायों के समाप्त हो चुके कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए चुनावी प्रक्रिया की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस संबंध में आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को निर्देश दिया है कि वे मतदाता सूची तैयार करने के लिए आवश्यक कर्मचारियों की नियुक्ति करें।

निर्देशों का विवरण

राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि अगले 7 दिनों के भीतर सभी जिलों से कर्मचारियों की सूची मंगाई जाए। इसके अलावा, 10% अतिरिक्त कर्मचारियों की सूची भी तैयार करने को कहा गया है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इन्हें रिजर्व में रखा जा सके।

  • सॉफ्टवेयर आधारित प्रक्रिया: मतदाता सूची को एक नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से तैयार किया जाएगा, जिसमें वर्तमान स्थिति के आधार पर संशोधन किया जाएगा।
  • प्रगणकों की नियुक्ति: मतदान केंद्रों पर मतदाता सूची तैयार करने के लिए प्रगणकों की नियुक्ति की जाएगी।

सरकार की योजना और बजट प्रावधान

राजस्थान सरकार ने बजट में घोषणा की थी कि सभी नगरीय निकायों में चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। राज्य में 230 से अधिक नगरीय निकाय हैं, जिनके कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त हो रहे हैं।

  • वार्डों का पुनर्गठन: सरकार अभी नए वार्डों के सीमांकन और पुराने वार्डों के पुनर्गठन का कार्य कर रही है।
  • समान प्रक्रिया: चुनाव की प्रक्रिया को एक समान बनाए रखने के लिए इन सभी कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है।

चुनाव की चुनौतियां

  • समयबद्धता: 49 निकायों के चुनाव समय पर कराना आयोग के लिए एक चुनौती है, खासकर जब अन्य निकायों का कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त हो रहा हो।
  • सुव्यवस्थित प्रबंधन: सभी निकायों में एक साथ चुनाव कराने के लिए प्रशासनिक और तकनीकी तैयारियों को मजबूत करना होगा।
  • डिजिटल सशक्तिकरण: सॉफ्टवेयर के माध्यम से मतदाता सूची तैयार करना चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा, लेकिन इसे समय पर लागू करना जरूरी है।

प्रभाव और आगामी कदम

इन चुनावों से स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था में नया नेतृत्व आएगा, जो स्थानीय विकास को दिशा देगा। सरकार की योजना सभी निकायों में चुनाव एक साथ कराने की है, जिससे प्रशासनिक समन्वय को बढ़ावा मिलेगा।
आयोग ने यह भी संकेत दिया है कि चुनाव की प्रक्रिया को सुचारू और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए वह आवश्यक कदम उठाएगा।