जयपुर। प्रदेश के 21 जिलों में हुए जिला परिषद और पंचायत चुनाव में इस बार में इस बार परिवार का जमकर बोलबाला रहा। पूर्व मंत्रियों, मंत्रियों, विधायकों और पूर्व विधायकों ने अपने उत्तराधिकारियों की सियासी एंट्री कराई, हालांकि कई जगह राजनीतिक विरासत संभाल रहे उत्तराधिकारियों को हार का स्वाद चखना पड़ा तो किसी को जीत का। हालांकि बड़ी बात ये है कि नेताओं के पुत्र-पुत्रियों और अन्य परिजनों ने तो अपनी किस्मत आजमाई ही है, पूर्व विधायक भी इसमें पीछे नहीं रहे हैं। पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ, सज्जन कटारा और सुशील कंवर पलाड़ा ने जीत दर्ज की है। वहीं राज्य के मुख्य सचिव निरंजन आर्य की बहन और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बेटे ने भी अपने भी चुनाव लड़ा लेकिन यहां अर्जुन राम मेघवाल के बेटे को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
इन उत्तराधिकारियों को मिली जीत
कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के भाई और पूर्व जिला प्रमुख अब्दुल्ला फकीर जिला परिषद का चुनाव जीते हैं। बीकानेर से विधायक गोविंद राम गोविंद राम मेघवाल की बेटी सरिता, पत्नी आशा देवी और बेटे ने भी चुनाव में जीत दर्ज की है। चित्तौडग़ढ़ में मंत्री उदयलाल आंजना के भाई मनोहर आंजना चुनाव जीते हैं। भीलवाड़ा में कांग्रेस के पूर्व विधायक धीरज गुर्जर की मां और पत्नी ने पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीत लिया है। उदयपुर में कांग्रेस के पूर्व विधायक सज्जन कटारा और पुष्कर डांगी पंचायत समिति सदस्य चुने गए हैं।
बांसवाड़ा में विधायक महेंद्रजीत मालवीय की पत्नी पूर्व जिला प्रमुख रेशम मालवीया और मंत्री अर्जुन बामणिया के बेटे चुनाव जीते हैं। चूरू में पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की पत्नी केसर देवी को पंचायत समिति सदस्य का प्रत्याशी बनाया था वह निर्विरोध चुनाव जीतीं।
जैसलमेर से विधायक रूपाराम की बेटी और पूर्व जिला प्रमुख अंजना मेघवाल और उनके बेटे हरीश मेघवाल भी पंचायत समिति सदस्य के रूप में चुने गए हैं। सीकर में निर्दलीय विधायक महादेव खंडेला के बेटे और पुत्रवधू पंचायत समिति सदस्य चुने गए। भाजपा से पूर्व विधायक झाबर सिंह खर्रा की पत्नी शांति देवी चुनाव जीतीं। नीमकाथाना के पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजोर की पुत्रवधू चुनाव जीतीं। झुंझुनूं में कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीते।
भाजपा सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधू हर्षनी कुलहरी जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीतीं। अजमेर में पूर्व मंत्री नसीम अख्तर और उनकी पुत्रवधु चुनाव जीते। कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के पोता चुनाव जीता।
इन उत्तराधिकारियों को मिली हार
एक ओर जहां राजनीतिक विरासत संभाल रहे नेताओं के रिश्तेदारों और परिजन को जीत मिली हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें पंचायत-जिला परिषद चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इनमें सबसे प्रमुख नाम केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बेटे का है। मेघवाल के बेटे रवि शेखर मेघवाल विधायक गोविंद राम मेघवाल की बेटी सरिता से चुनाव हार गए।
चित्तौडग़ढ़ में भाजपा विधायक अर्जुनलाल जीनगर के भाई की पत्नी चुनाव हार गईं। डूंगरपुर से भाजपा सांसद कनक मल कटारा के बेटे नयन कटारा जिला परिषद सदस्य का चुनाव हार गए। चूरू में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक विधायक भंवरलाल शर्मा की पत्नी मनोहरी देवी चुनाव हार गईं। सीकर में पूर्व विधायक झाबर सिंह खर्रा के बेटे और पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजोर के भतीजे चुनाव हार गए। नागौर में विधानसभा के उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी जिला परिषद का चुनाव हार गई हैं।