बीकानेर। गांव पूगल दीपावली की खरीदारी करने गए मां-बेटे की बाइक को पिकअप चालक ने टक्कर मार दी, जिससे मां क ी मौत हो गई जबकि बेटा घायल हो गया। घायल को पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
पुलिस के अनुसार पूगल के गंगाजलि निवासी भैराराम (38) पुत्र श्रवणराम नायक अपनी मां बीदामी देवी (62) श्रवणराम नायक के साथ बाइक पर सोमवार दोपहर बाद गंगाजलि के लिए रवाना हुआ। तभी पड़ोस में रहने वाली 16 वर्षीय प्रतिभा पुत्र प्रभुदयाल मेघवाल रास्ते में मिली। उन्होंने उसे भी बाइक पर बैठा लिया। तीनों गंगाजलि के लिए रवाना हो गए। इसके कुछ देर बाद ही आडूरी फांटे के पास एक पिकअप चालक ने लापरवाही से चलाते हुए बाइक को टक्कर मार दी, जिससे तीनों गंभीर घायल हो गए। घायलों को पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर लाए, जहां इलाज के दौरान बीदामी देवी की मौत हो गई। शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया। जबकि भैराराम व प्रतिभा की हालत गंभीर होने पर भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया।
पिकअप से बाइक टकराने के बाद तीनों उछल कर दूर जा गिरे। तीनों को चोटें ज्यादा लगी थी। हादसे के बाद भैराराम को होश था। भैराराम के मामा के बेटे गिरधारी नायक ने बताया कि हादसे की सूचना भैराराम ने खुद ने ही उसे फोन करके दी। वह घटनास्थल से करीब आठ किलोमीटर दूर था। तब अपने साथी के साथ वहां पहुंचा। तक ग्रामीण उन्हें पिकअप गाड़ी में डाल रहे थे। तीनों घायलों को पहले पूगल राजकीय अस्पताल लेकर गए, वहां प्राथमिक उपचार के बाद पीबीएम रेफर कर दिया। पीबीएम में इलाज के दौरान बीदामी देवी की मौत हो गई।
हादसे के बाद चालक भाग, गाड़ी सवार ने दिखाई मानवीयता
गिरधारी ने बताया कि हादसे के बाद चालक गाड़ी को छोड़कर भाग गया। पिकअप में सवार एक अन्य व्यक्ति सवार था। उसने मानवीयता दिखाते हुए घायलों को पूगल अस्पताल लेकर गया। गिरधारी ने बताया कि बीदामी देवी उसकी भुआ लगती है। भुआ को चोटेंं ज्यादा लगी थी, जिससे वह अचेत थी। पीबीएम पहुंचने के कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई। भैराराम व उसकी भुआ बीदामी देवी दीपावली की खरीदारी करने पूगल गए थे। भैराराम डीएपी खाद खरीदने गया था।
श्रवणराम बेसुध, संभाल रहे परिजन
हादसे का पता चलने पर बीदामी देवी के पति श्रवणराम पूगल अस्पताल पहुंच गए। खून से लथपथ पत्नी को देखकर वह घबरा गए। पीबीएम में इलाज के दौरान बीदामी देवी की मौत की सूचना मिलने पर उनके सब्र का बांध टूट गया। वे फफक -फफक कर रोने लगे। तब वहां मौजूद परिजनों व रिश्तेदारों ने उन्हें संभाला और ढांढ़स बंधाया। श्रवणराम ने कहा कि करवा चौक को मेरी लंबी उम्री की कामना की और उसके अगले ही दिन वह अपनी उम्र मुझे देकर चली गई। अब मैं बीदामी के बिना कैसे रह पाऊंगा।