दुर्गाष्टमी पर भक्‍त घरों में रहकर करेंगे देवी आराधना, अष्टमी हवन पूजन श्रेष्ठ मुहूर्त : पं श्रवण व्यास

बीकानेर। चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर मंगलवार को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है। मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार की मृत्युदा होती है। इसकी दिशा ईशान है। ईशान में सभी देवताओं का निवास है। इसलिए इस बार अष्टमी का महत्व अधिक है। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है। कोरोना काल को देखते हुए भक्त दुर्गाष्टमी पर घर पर ही पूजा-अर्चना करेंगे व इस दिन कन्या पूजन भी सांकेतिक रूप से किया जाएगा।

पं. श्रवण व्यास के अनुसार, अष्टमी पर पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा पूजा करनी चाहिए। इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। इस दिन विशेष तौर पर देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए। पूजन के बाद मां दुर्गा से सुख-समृद्धि, विजय एवं आरोग्यता की कामना करनी चाहिए। दुर्गाष्टमी पर दुर्गा पूजा से हर तरह के कष्ट और दु:ख मिट जाते हैं।

अष्टमी हवन पूजन श्रेष्ठ मुहूर्त

– प्रात: 9.22 से 10.58 तक चर
– 10.58 से 12.33 तक लाभ

– 12:33 से 2:08 तक अमृत पूजन के लिए श्रेष्ठ रहेगा

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