अब 20 हजार तक के बिजली बिल का पेमेंट चेक-डीडी से

जयपुर। अब 20 हजार रुपए से ज्यादा के बिजली के बिल और बिजली संबंधी दूसरे पेमेंट चेक और डीडी से भी जमा करवाए जा सकेंगे। राजस्थान डिस्कॉम ने फैसला लिया है कि ऐसे बड़े अमाउंट के बिजली बिल और दूसरे पेमेंट्स ऑनलाइन के साथ ही चैक और डिमांड ड्राफ्ट से भी जमा करवाए जा सकेंगे।
अब तक 20 हजार रुपए से ज्यादा अमाउंट के बिलों का पेमेंट केवल ऑनलाइन ही स्वीकार किया जा रहा था, जिस पर लगातार बिजली उपभोक्ता नाराजगी भी जता रहे थे। राजस्थान डिस्कॉम के तहत आने वाले जयपुर डिस्कॉम, जोधपुर डिस्कॉम और अजमेर डिस्कॉम तीनों पर बदले हुए ये निर्देश लागू होंगे। नियमों में यह छूट पूरे प्रदेश में लागू होगी।
राजस्थान डिस्कॉम के चेयरमैन भास्कर ए. सावंत ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि ऑनलाइन बिजली बिलों के पेमेंट में आ रही दिक्कतों को लेकर उपभोक्ताओं से बड़ी संख्या में एप्लिकेशन मिलीं। इन्हें ध्यान में रखते हुए ही यह फैसला लिया गया है कि 20 हजार रुपए से ज्यादा अमाउंट के बिजली बिलों के मामलों में पेमेंट करने की शर्तों में छूट दी जाए।
इस तरह के मामलों में मिलने वाले अनुरोध को स्वीकार करने के लिए एक्जिक्यूटिव इंजीनियर यानी अधिशासी अभियन्ता को ऑथोराइज किया गया है। एक्जिक्यूटिव इंजीनियर 20 हजार रुपए से ज्यादा के अमाउंट के पेमेंट के मामले में तमाम पहलुओं और फायदे-नुकसान समझकर चेक और डिमांड ड्राफ्ट से भी पेमेंट स्वीकार कर सकते हैं।
इससे पहले पेमेंट करने के लिए यह थे निर्देश
डिस्कॉम चेयरमैन भास्कर ए.सावंत ने कहा कि डिस्कॉम की ओर से पहले जारी निर्देशों के मुताबिक 10 हजार रुपए तक अमाउंट के बिजली बिल और अन्य पेमेंट्स कैश, चेक, डिमांड ड्राफ्ट, ऑनलाइन, डिजिटल सभी तरीकों से किए जा सकते हैं। जबकि 10 हजार से 20 हजार रुपए तक के अमाउंट का पेमेंट केवल चेक या डिमांड ड्राफ्ट और ऑनलाइन या डिजिटल माध्यम से ही किया जा सकता है। इसमें कैश नहीं लिया जाता है।
वहीं 20 हजार रुपए से ज्यादा अमाउंट के बिजली बिलों और संबंधित पेमेंट अब तक केवल ऑनलाइन और डिजिटल माध्यम से ही स्वीकार किया जा रहा था। केवल कृषि उपभोक्ता और राजकीय विभागों, नगर निकायों, नगर निगमों को चेक, डिमांड ड्राफ्ट और ऑनलाइन या डिजिटल दोनों माध्यम से पेमेंट करने की छूट मिली हुई थी।
बिजली उपभोक्ताओं को आ रही थीं दिक्कतें
बिजली उपभोक्ताओं को पेमेंट के लिए परेशान होना पड़ रहा था। जो लोग ऑनलाइन या डिजिटल ट्रांजेक्शन करना नहीं जानते हैं, उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी हो रही थी। 20 हजार से ऊपर के पमेंट को चेक या डीडी से नहीं लिया जा रहा था। केवल ऑनलाइन पेमेंट के लिए या आरटीजीएस, एनईएफटी के लिए उन्हें कहा जा रहा था। ऐसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन्स जो एनईएफटी या आरटीजीएस, आईएमपीएस किए गए हैं। वो भी कई केसों में लंबे समय से अपडेट नहीं किए जा रहे, जिससे ग्राहकों को परेशान होना पड़ रहा है।
बिजली के अगले बिल भुगतान हो चुके अमाउंट को घटाकर भेजने की बजाय पुराना बकाया दिखाकर और उसमें पेनाल्टी जोडक़र भेजे जा रहे हैं, जिसने ग्राहकों को परेशान होने के साथ ही गुस्सा होने पर मजबूर कर दिया है। इससे आए दिन विवाद के भी हालात बन रहे हैं।
नेटबंदी, ट्रांजेक्शन फेल होना,कनेक्टिविटी प्रॉब्लम से भी परेशानी
नेटबंदी,ट्रांजेक्शन फेल होना,नेटवर्क कनेक्टिविटी की प्रॉब्लम,खाते से पैसे कटने पर भी भुगतान नहीं होना और बिल जमा करवाने की लास्ट डेट निकलने पर वापस कस्टुमर के खाते में पैसे लौटना, ऊपर से पैनल्टी लगना, ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों को खास तौर पर परेशानी होना, बिल जमा करवाने के लिए बनिस्बत महंगा स्मार्ट मोबाइल, कम्प्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन की अनिवार्यता, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जानने वाले पर इस सिस्टम से अनजान व्यक्ति का डिपेंडेंट होना, कई बार ऑनलाइन ठगी की घटनाएं होना, बिल जमा करवाने के लिए ईमित्र तक पहुंचने और कतारों में लगने जैसी दिक्कतें लोगों को आ रही हैं। नए नियम से लोग अपने बैंक खाते की चेकबुक से चेक काटकर या उस चेक से डीडी बनवाकर बिजली बिल का भुगतान कर सकते हैं।

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