देवेन्द्रवाणी न्यूज,बीकानेर। नियमित कक्षा वाले स्कूल और कोचिंग संस्थानों की तर्ज पर राजस्थान में अब वर्चुअल (ऑनलाइन) स्कूल खोले जाएंगे। इसके लिए नियमित कक्षाएं चलाने वाले स्कूल, कोचिंग संस्थान या अन्य संस्थाएं सरकार से अनुमति लेकर वर्चुअल स्कूल का संचालन कर सकती हैं। शिक्षा विभाग ने इसका पूरा खाका खींच लिया है। फिलहाल इस तरह की सुविधा 9 वीं से 12वीं तक के लिए होगी। वर्चुअल स्कूल में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थी को कैंपस में जाने की जरूरत नहीं होगी। उनकी पूरी पढ़ाई ऑनलाइन ही होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग से अनुमति लेकर कोई भी संस्थान इस तरह के स्कूल चला सकती है। इस बाबत सोमवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने आदेश जारी किया है।
राजस्थान ऐसा पहला राज्य
माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल में विद्यार्थी को हुए नुकसान को देखते हुए वर्चुअल स्कूलों की शुरुआत करने की पहल की गई है। सेशन 2023-24 से कक्षा 9 से कक्षा 12 तक गैर सरकारी स्कूल और संस्थान वर्चुअल स्कूल की मान्यता ले सकते हैं। भविष्य में कोरोना जैसी विकट परिस्थितियों में भी स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। निदेशक ने दावा किया कि इस तरह की व्यवस्था लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है।
प्राइवेट स्कूल से जुडऩा होगा
सेशन 2023-24 में क्लास में पढ़ाई के साथ ही वर्चुअल स्कूल की कल्पना की गई है। कोई भी रजिस्टर्ड संस्था यदि चाहे तो विभाग से स्वीकृति लेकर वर्चुअल स्कूल प्रारंभ कर सकती है। यह स्वीकृति विभाग द्वारा पूर्व में संचालित स्कूल के साथ पार्टनरशिप करने वाली रजिस्टर्ड टेक्निकल संस्थाओं (सोसाइटी) को भी प्रदान की जाएगी।
ऐसे होंगे क्लास रूम
ऐसे स्कूलों में ऑनलाइन सुविधाएं होगी। हर क्लास में इंटरनेट होगा, जहां से टीचर ऑनलाइन पढ़ा सकेगा। वर्चुअल पढ़ाने के लिए इंटरेक्टिव बोर्ड और स्पीड वाला नेट कनेक्शन भी होगा। हर क्लास में अधिकतम 45 स्टूडेंट्स होंगे। हर स्कूल के पास एक क्लास के लिए एक स्टूडियो होना आवश्यक है। अगर स्कूल नौंवी व दसवीं की क्लास लगाना चाहते हैं तो दो स्टूडियो और अगर नौंवी से बारहवीं तक वर्चुअल स्कूल खोलना चाहते हैं तो चार स्टूडियो होने चाहिए।
मान्यता प्राप्त स्कूल से संबद्धता जरूरी
शैक्षिक तकनीकी संस्थाओं की ओर से वर्चुअल स्कूल प्रारंभ करने के लिए शिक्षा विभाग से माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के मान्यता प्राप्त स्कूल से सहभागिता (पार्टनरशिप) अनिवार्य होगी। यह सहभागिता ‘वर्चुअल इंटिग्रेशन पार्टनर’ (ङ्कढ्ढक्क) कहलाएगी। प्राइवेट स्कूल और तकनीकी संस्था को चार साल के लिए कम से कम रूह्र करना होगा।
प्राइवेट स्कूल में होगी परीक्षा
वर्चुअल स्कूल खोलने वाली संस्थाओं को सिर्फ पढ़ाई ऑनलाइन करवानी है, जबकि एग्जाम ऑफलाइन करवाने के लिए स्कूल परिसर की जरूरत होगी। इसके लिए प्राइवेट स्कूल से रूह्र किया जाएगा। प्रैक्टिकल भी उसी प्राइवेट स्कूल में होगा, जहां मेन एग्जाम होगा।
दोनों अलग-अलग हैं
वर्चुअल स्कूल और ऑफलाइन स्कूल अलग-अलग होंगे। जो वर्चुअल स्कूल में प्रवेश लेंगे, उनकी सारी जिम्मेदारी वर्चुअल स्कूल की होगी। उनकी परीक्षा भी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड उसी तरह लेगा, जैसे अभी सामान्य स्कूल के स्टूडेंट्स की लेता है। इसीलिए वर्चुअल स्कूल को भी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।