अब तो बच्चों से पूछेंगे कि गुरुजी ने दिया कि नहीं…

बीकानेर। शिक्षण संस्थानों में अब नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकों के वितरण की पूरी जानकारी संस्था प्रधानों को रखनी पड़ेगी। किसी भी विद्यार्थी से कभी भी ये पूछा जा सकता है, उसे पुस्तक मिली या नहीं…! किस विद्यार्थी को कितनी पुस्तकें मिली है, की जानकारी भी लिखित रूप से रखनी पड़ेगी। विद्यार्थियों में से किसी ने भी कह दिया कि उसे पुस्तक नहीं मिली है तो इस पर संबंधित के खिलाफ विभागीय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा सकती है।राजकीय शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों को वितरित होने वाली एक-एक पुस्तकों का हिसाब अब गुरुजनों को रखना पड़ेगा।

किताब गुम हो गई, अथवा दो किताबें मिली नहीं, है आदि बातें अब नहीं चलेंगी। संस्था प्रधानों को पाठयपुस्तक मंडल की ओर से दी गई प्रत्येक किताब का लिखित में पूरा ब्योरा रखना पड़ेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा सत्र 19-20 के लिए पहली से आठवी और नवीं से 12वीं तक की नि:शुल्क पुस्तकों की पूरी जानकारी पाठ्य पुस्तक मंडल जयपुर को भेजनी है। 1 मई 019 से शुरू होने वाले शिक्षा सत्र की तैयारियां तेज कर दी गई है। इसमें सभी डीइओ को सरकार शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी जिले से पुस्तकों की मांग गलत में तथ्यों का समावेश नहीं होना चाहिए, नहीं तो इसकी पूरी जवाबदेही खुद की होगी।

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