बीकानेर। प्रदेश भर के श्वसन एवं टीबी-चेस्ट स्पेशलिस्ट की वेबिनार में यह तथ्य सामने आया। वर्ष 2025 तक टीबी का खात्मा करने के मकसद से बनाई गई स्टेट टीबी टास्क फाेर्स की इस वेबिनार में मेडिकल काॅलेज, टीबी हाॅस्पिटलाें से जुड़े 23 विशेषज्ञ शामिल हुए।
बीते साल राजस्थान में टीबी के 22439 नए राेगी रिपाेर्ट हुए थे, जबकि इस साल यह आंकड़ा 16214 ही रहा। मतलब यह कि एक साल में नए राेगियाें की संख्या लगभग 27 फीसदी कम हाे गई। इस बदलाव की बड़ी वजह है काेविड से बचाव के लिए लगाए गए मास्क। दूरी मेंटेन करने और बार-बार हाथ धाेने के मंत्र ने भी टीबी का संक्रमण कम करने में मदद की।
टास्क फाेर्स के अध्यक्ष एसपी मेडिकल काॅलेज के श्वसन राेग विभागाध्यक्ष डाॅ. गुंजन साेनी ने इस बात पर चिंता जताई कि टीबी के जितने राेगी रिपाेर्ट हाेते हैं उनमें से 85 प्रतिशत फेफड़ाें की टीबी से संक्रमित हाेते हैं। सीनियर प्राेफेसर डाॅ. माणक गुजरानी ने मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी का इलाज करवाने वाले राेगियाें काे सरकार की ओर से प्रतिमाह दी जा रही नकद राशि का जिक्र किया। क्षय अधिकारी डा.सी.एस.माेदी व डाॅ.अजय श्रीवास्तव ने भी विचार रखे।
बीकानेर में 1.5 कराेड़ की टीबी जांच लैब, 15 दिन में होगी शुरू
टीबी की जांच के लिए बीकानेर के एसपी मेडिकल काॅलेज में 1.5 कराेड़ की लागत से अत्याधुनिक लैब बनाई गई है। 15 दिन में यह लैब शुरू हाे जाएगी। ऐसे में जाे सैंपल जांच के लिए जाेधपुर भेजे जा रहे हैं उनकी जांच यहीं हाे पाएगी। डाॅ. साेनी का कहना है, टीबी राेगियाें काे बीडाक्विलिन जैसी दवाइयां फ्री दी जा रही है। इनका पूरा काेर्स आठ से नाै लाख तक हाे जाता है। इतना ही नहीं मरीजाें काे खुराक के लिए प्रति माह 500 रुपए दिए जा रहे हैं।