सम्मेद शिखर बचाने के लिये मुनिश्री ने किये प्राण न्योछावर

जयपुर। सम्मेद शिखर को बचाने के लिए आमरण अनशन कर रहे जैन मुनि 108 सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वह सांगानेर में विराजित थे और परम पूज्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनीलसागर गुरुदेव के शिष्य थे।जैन धर्मावलंबियों के सबसे बड़े तीर्थ सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में सुज्ञेयसागर महाराज 25 दिसंबर से आमरण अनशन पर थे।
उन्होंने पंचपरमेष्ठी का ध्यान करते हुए अपनी देह त्याग दी। वह मध्यम सिंहनिष्क्रिडि़त व्रत में उतरते हुए उपवास कर रहे थे। मंगलवार सुबह उनकी डोल यात्रा सांगानेर संघी जी मंदिर से निकाली जाएगी।
झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को टूरिस्ट प्लेस घोषित किए जाने के खिला जैन समाज के लोग देशभर में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखरजी के रूप में विख्यात है।
अखिल भारतीय जैन बैंकर्स फोरम के अध्यक्ष भागचन्द्र जैन ने बताया कि श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद से मुनीश्री ने आमरण अनशन शुरू किया था। उन्होंने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए बलिदान दिया है। मुनीश्री सम्मेद शिखर से भी जुडे हुए थे। इन्हें जयपुर के सांगानेर में श्रमण संस्कृति संस्थान में समाधि दी जाएगी।

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