बीकानेर। स्थानीय गर्वमेन्ट प्रेस रोड स्थित गोपीनाथ मंदिर में रविवार को रामलीला महेंद्र सिंह राजपुरोहित की स्मृति में शहरी जन कल्याण सेवा संस्थान एवं श्री राम रामलीला कमेटी द्वारा रामलीला
में रविवार को रावण अंगद संवाद,मेघनाथ -लक्ष्मण युद्व,लक्ष्मण मूर्छित होना,राम विलाप,हनुमान द्वारा संजीवनी लाने का मंचन हुआ।
रामलीला में मुख्य अतिथि जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष डी पी पच्चीसिया,विशिष्ट अतिथि भंवरलाल बडगुजर ने आरती की। अतिथियों का कमेटी अध्यक्ष डॉ मेघराज आचार्य व संगीता शेखावत ने दुप्पटा पहनाकर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया। लीला में दिखाया गया कि हनुमान श्रीराम के पास पहुंचकर लंका में हुई सारी घटना का जिक्र करते हैं। सभी खुश हो जाते हैं कि सीता का पता चल गया है। साथ में सीता का संदेश कि अगर एक महीने में उन्हें वहां से नहीं ले जाया गया तो वे प्राण त्याग देंगी, इसे सुनकर श्रीराम सुग्रीव से मंत्रणा करते हैं कि आखिर किस तरह से युद्ध की तैयारी करके आगे कदम बढ़ाया जाए।
इसके बाद की लीला रावण के महल से शुरू होती है। वे अपनी रानी मंदोदरी के साथ मंत्रणा करते हैं। मंदोदरी कहती है कि मेरी एक बात मान लो और सीता को उन्हें वापस लौटा दो।
दरबार में पहुंचकर मंत्रियों से मंत्रणा की
रावण दरबार में पहुंचकर मंत्रियों से मंत्रणा करते हैं कि आखिर अब आगे क्या किया जाए। इसी बीच दरबार में विभीषण प्रवेश करते हैं और सीता को लौटाने के लिए समझाते हैं। इस पर गुस्से से लाल रावण विभीषण को लात मारकर लंका से ही निकाल देते हैं। विभीषण वहां से निकलकर रामा दल की ओर चल देते हैं। इसके बाद होती है समुद्र पार करने की तैयारी। समुद्र में पुल बनाने के लिए नल और नील को पत्थर देकर उनके हाथों रखवाए जाते हैं। क्योंकि उनके हाथों से रख गए पत्थर एक श्राप के तहत डूबते नहीं हैं।
मेरे नहीं जाकर श्रीराम के पैर पकड़ो
समुद्र पार करने के बाद एक बार शांतिदूत अंगद को रावण के दरबार में भेजा जाता है। वहां रावण-अंगद का संवाद होता है। रावण और अंगद के बीच करीब एक घंटे तक संवाद चलता रहा। फिर अंगद ने रावण के दरबार में पैर जमाते हुए कहा कि जो भी मेरे इस पैर को उठा देगा, श्रीराम उससे हार जाएंगे। रावण के कई योद्धाओं ने प्रयास किया, लेकिन पैर को हिला तक न सके। इसके बाद खुद रावण आए और अंगद का पांव उठाने की ओर बढ़े। इस पर अंगद ने पांव पीछे खींचकर कहा कि मेरे नहीं जाकर श्रीराम के पैर पकड़ो।
इंद्रजीत के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हुए
युद्ध के दौरान इंद्रजीत के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। इस पर सुषेन वैद्य को लाने के लिए हनुमान को भेजा जाता है। यहां वैद्यराज संजीवनी बूटी लाने के लिए कहते हैं। बाद में हनुमान द्रोणगिरी पर्वत से पूरी पहाड़ी उठा लाते हैं। यहां वैद्यराज ने संजीवनी बूटी लक्ष्मण को सुंघाई। इस पर लक्ष्मण की मूर्छा टूटी। इसके बाद लक्ष्मण ने अपने दुश्मन को ललकारा और राम ने उन्हें गले लगाकर विलाप किया।
इन्होनें निभाई भूमिका आयोजक खुशालचंद व्यास ने बताया कि गोपाल सारस्वत ने राम, राम राजपुरोहित ने लक्ष्मण की भूमिका,देवीसिंह राठौड ने रावण,विवेक दावडा ने हनुमान,तरूण शर्मा ने विभिषण,आनंद सिंह भाटी ने मेघनाथ,किशन स्वामी ने अंगद की भूमिका निभाई।