राजस्थान राज्य अभिलेखागार
बीकानेर तथा यूनिवर्सिटी ऑफ एक्जिटर, यू.के. के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार का शुभारम्भ हुआ, जिसका उद्घाटन प्रातः 10 बजे वेटनरी कॉलेज ओडिटोरियम, बीकानेर में हुआ, इस तीन दिवसीय सेमीनार के प्रथम दिवस में देश-विदेश के इतिहासकार व शोध छात्रों द्वारा 13 पत्र वाचन व 4 प्रजेंटेशन किये गये।
राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर के निदेशक डॉ. महेन्द्र खडगावत ने कीनोट स्पीकर के रूप में अभिलेखागारिय प्राथमिक स्त्रोतों के रूप में राजस्थानी व फारसी दस्तावेजों के बारे में विस्तार से बताया, इन दस्तावेजों को डिजिटाईजेशन कर अभिलेखागार की साईट पर आनलाईन कर आरकाईव एट हॉम की महता पर प्रकाश डाला तथा स्थानीय बोलीयों में दर्ज रिकार्ड को सीडेक के माध्यम से साफ्टवेयर के जरिये आपसी भाषाओं में कनवर्टर की जल्द ही सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
डॉ. डोमिनिक वेंटेल, यूनिवर्सिटी ऑफ एक्जिटर (यू.के.) ने अपने रिसर्च पेपर में रिसर्च की महत्ता तथा उसमें राजस्थानी दस्तावेजों का प्राथमिक स्त्रोतों के रूप में योगदान पर प्रकाश डाला।
प्रोफेसर राम्या श्रीनिवासन, यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिलवेनिया (यू.एस.ए.) ने इतिहास के महता पर प्रकाश डाला तथा अभिलेखागार रिकार्ड में राजस्थानी व फारसी दस्तावेजों का उदाहरण देकर इतिहास में रिसर्च को प्रकाशित किया।
प्रोफेसर मीरा मलहान, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बीकोनर आरकाईव्ज-ए पीप विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया, इस शोध-पत्र के द्वारा इन्होंने वाणिज्य-व्यापार, हुण्डी व्यवस्था तथा कृषि संबंधी पहलुओं पर पर्याप्त प्रकाश डाला।
आर्ट कंजर्वेटर व वास्तुकार शिखा जैन ने राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर में बन रहे अन्तरराष्ट्रीय म्यूजियम निर्माण पर स्लाईडों के जरिये विस्तार से प्रकाश डाला।
अलीगढ विश्वविद्यालय से प्रोफेसर सम्बूल हसन ने वकील रिपोर्ट पर शोध पेपर प्रस्तुत किया, इस पेपर में उन्होंने राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डाला। यह रिपोट्स औरंगजेब के समय से लेकर ब्रिटिशकाल तक राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर में उपलब्ध है, जो कि राजस्थानी तथा फारसी भाषा में है।
अलीगढ विश्वविद्यालय से डॉ. मोहम्मद शाहनवाज ने निरख हुण्डावन दस्तावेज पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इस पत्र के द्वारा उन्होंने हुण्डावन दरों तथा अन्य पहलुओं का विस्तृत वर्णन किया। यह दस्तावेज राजस्थानी भाषा में है तथा सांख्यिकीय पहलू को विस्तृत रूप में दर्शाता है।
अरबी फारसी शोध संस्थान से श्री सलाउदीन कमर ने फारसी दस्तावेजों में फरमान खरीता तथा अन्य पत्रों में संदर्भित प्रशासनिक शब्दावली के उत्पति तथा आशय पर प्रकाश डाला।
डॉ. एलिजाबेथ थेलन, यूनिवर्सिटी ऑफ एक्जिटर (यू.के.) ने राजस्थान राज्य अभिलेखागार में राजस्थानी बहियां विशेषकर मारवाड़ बहियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
राजस्थान विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर (पी.डी.एफ) ने ब्रिटिशकालीन महिलाओं की स्थिति राजस्थानी दस्तावेजों में दर्ज विवरण पर प्रकाश डाला।
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के एसोसिएट प्रोफेसर अंबिका ढाका ने राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर में फारसी दस्तावेज तथा अमीर खुसरों व अन्य सुफी काव्य पर प्रकाश डाला।
प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार का इतिहासकार पुरस्कार यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिलवेनिया, यू.एस.ए. से प्रोफेसर राम्या श्रीनिवासन को राशि 11000/- तथा प्रतीक चिह्न भेट किया गया। यह पुरस्कार स्व. श्री बदरी नारायण थानवी की स्मृति में दिया जाता है। सेमीनार में आमंत्र्ति प्रत्येक सहभागी को विभाग की तरफ से ऐतिहासिक मोमेन्टो प्रदान किया गया।