ऊर्जा मंत्री की चुपी से लगाये

जा रहे अलग-अलग कयास

बीकानेर शहर नीजि बिजली कम्पनी से परेशान हैं , बिजली कम्पनी द्वारा शहर में खुद कम्पनी द्वारा निर्मित तेज गति से और बाहर तेज पड़ने वाली गरमी से अपने आप चलने वाले मीटर लगाने के आरोप शहर की जनता सरे आम लगा रही है , शायद ही कोई दिन ऐसा जाता है कि जिस दिन मैंटीनैंस के नाम पर तीन तीन घंटे आधे के लगभग शहर की लाईट ना काट दी जाती हो ।
पूर्व में सरकारी विभाग इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के पास ट्रेंड लाईन मैन तथा तकनीकी कर्मचारी हुआ करते थे जिनकी जगह अब नीजि कम्पनी ने बहुत कम पैसों में अन ट्रेंड आदमी लगा कर अपना काम चला कर भारी मुनाफ़ा कमाने का काम कर रहे हैं ।
आश्चर्य यह है कि सत्ता पार्टी के यूथ कांग्रेस तथा इंटक यूनियन ने भी अब लगभग पोने तीन साल बाद इस कम्पनी का विरोध किया है , चर्चा है कि यह विरोध कांग्रेस के ही बडे नेता के इशारे पर किया गया है यानि यह कम्पनी किसी को भी घास डालने को तैयार नहीं है ?
पिछले दिनों सुजानदेसर में एक नीजि रिजॉर्ट का उद्घाटन बीकानेर के ही विधायक जो स्वयम् ऊर्जा मंत्री भी हैं के कर कमलों से किया गया था । ध्यान देने वाली बात यह है कि यह रिजॉर्ट पुराने कांग्रेस परिवार का है जिसका मालिक कांग्रेस की ही महिला पार्षद के पति थे , जो अपने रिजॉर्ट में थे जिनका करंट लगने से देहांत हो गया । बिजली कम्पनी पर आरोप है कि अचानक अधिक वोलटेज आने से यह हादसा हुआ । नगर निगम के सभी पार्षदों ने बिजली कम्पनी से मुआवज़े की माँग की । पूर्व में कम्पनी द्वारा केवल पाँच लाख का मुआवज़ा देने की बात कही गई , और अब कम्पनी सारी ग़लती उपभोक्ता पर डाल बच निकलने का काम कर रही है । सवाल यह उठता है कि बिजली कम्पनी पर क्या ऊर्जा मंत्री का कोई कंट्रोल या प्रभाव नहीं है ? सरकार को क्या मजबूरी है कि इस कम्पनी को ब्लैक लिस्ट कर अनुबंध को निरस्त क्यों नहीं किया जा रहा है ?


जब भारत सरकार द्वारा संविधान की धारा 370 हटाई जा सकती है तो क्या एक कम्पनी का क़रार सरकार द्वारा निरस्त नहीं किया जा सकता ?
शहर में यह भी चर्चा है कि माली समाज के ही एक पार्षद पति की करंट से दर्दनाक मौत हुई लेकिन कांग्रेस में माली समाज के दो क़द्दावर नेता यशपाल गहलोत और गोपाल गहलोत अब चुप क्यों है ? यहाँ तक कि प्रदेश में मुखय मंत्री भी माली समाज के ही हैं फिर भी यह अन्याय क्यों ?
बिजली विभाग के एक अधिकारी का पार्षदों को परेशान होकर मुँह काला करना पडा , पार्षद भी सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस से ही सम्बन्धित हैं । आख़िरकार यह नौबत क्यों आई ? जनता के बीच यह अनबुझे सवालात चर्चा में है , देखते हैं सरकार कोई एकसन ले पाती है या नहीं ?