जलदाय विभाग की ओर से प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालयों पर स्थापित पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र संस्था से एनएबीएल अधिस्वीकृत हो चुकी हैं। सोमवार को यह जानकारी राज्य के जलदाय मंत्री महेश जोशी ने दी।

राज्य सरकार का बड़ा कदम

उन्होंने कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आमजन को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में राज्य सरकार का बड़ा कदम है। मंत्री जोशी ने कहा कि आम जन पेयजल की गुणवत्ता की परख के लिए ज्यादा से ज्यादा सामने आए इसके लिए 16 बिंदुओं पर आधारित पेयजल गुणवत्ता परीक्षण का शुल्क 1000 से घटा कर 600 रुपए की गई है।

पेयजल गुणवत्ता की इतनी जांच होंगी
प्रदेश में सभी जिलों में स्थापित पेयजल जांच प्रयोगशालाओं में , नाइट्रेट, थर्मो टॉलरेंट कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया, टोटल कोलोफॉर्म बैक्टीरिया, आर्सेनिक, आयरन, सल्फेट, क्लोराइड, रेजिड्यूअल क्लोरिन, टोटल हार्डनेस, टोटल अल्केलिनिटी, टर्बिनिटी, टोटल डिजोल्वड सॉलिड, पीएच, कलर और ऑडर के 16 बिन्दुओं पर आधारित गुणवत्ता जांच करवाई जा सकेगी।

चीफ केमिस्ट समेत 10 नए पद सृजित
जलदाय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में पेयजल जांच सुविधाओं को मजबूत करने के लिए चीफ केमिस्ट कार्यालय में दस नए पद सृजित किए गए हैं। इसमें एक अतिरिक्त पर चीफ केमिस्ट, अधीक्षण केमिस्ट के तीन पद और सीनियर केमिस्ट के 6 पद शामिल हैं। प्रदेश में पेयजल जांच सुविधाओं के लिए 67 करो़ड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। जयपुर में राज्य स्तरीय प्रयोगशाला भवन बनाने के लिए 3 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है।