बीकानेर। धर्मनगरी बीकानेर में पितृपक्ष के अवसर पर भूतेश्वर गोपेश्वर महादेव मंदिर में पन्द्रह दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का शनिवार को आठवां दिन रहा। कथावाचक सींथल पीठाधीश्वर क्षमारामजी महाराज ने धर्म और भक्ति का महत्व बताया।
महाराज ने धर्म की रक्षा के लिए किये गये कार्यों को सही बताते हुए कहा कि हमें यह भागवत से सीखना चाहिए कि धर्म की रक्षा के लिए भगवान किसी भी हद तक जा सकते हैं। क्षमाराम महाराज ने प्रजापति दक्ष द्वारा करवाये गये यज्ञ में भगवान शंकर को आमंत्रित ना करने पर उनके रुष्ट होने तथा उसके बाद माता सती के अपने पिता द्वारा करवाये जा रहे यज्ञ में उपस्थित होकर उनसे प्रश्न करने सहित , सती माता के सती होने का संपूर्ण वृतांत सुनाया,दूसरे प्रसंग में उन्होने ध्रूवजी के भक्ति यज्ञ की व्याख्या की।
महाराज ने कहा कि भगवान शंकर जो यज्ञ के रक्षक कहे जाते हैं उनके द्वारा यज्ञ को तहस-नहस कर देना इस बात को इंगित करता है कि भगवान को धर्म का नाश सहन नहीं होता, इस लिए पाप कर्म से बचना चाहिए। पाप कर्म से बचने के लिए सर्वश्रेष्ठ है भगवान की भक्ति करनी चाहिए। महाराज ने कहा कि भगवान से प्रेम करने वाला कभी कुसंगति और कुमार्ग पर नहीं जाता।
उसके हाथों से गलत होता ही नहीं है और अगर गलती से भी गलत हो जाए तो वह क्षमा मांग लेता है और अपनी भूल का प्रायश्चित कर लेता है। यह सब भगवान से प्रेम करने पर ही संभव होता है। ज्ञानयज्ञ में महाराज ने वर्तमान समय को देखते हुए सभी उपस्थितजनों से धर्म की रक्षा के लिए संगठित रहने का आह्वान किया। महाराज ने कहा कि धर्म और राष्ट्र के विरुद्व ना कोई बात करनी चाहिए और ना ही सुननी चाहिए। माताओं को अपने बच्चों में भगवान की भक्ति के संस्कार डालने चाहिए। ऐसा करने पर बालक महान होते हैं। ध्रूव चरित्र के बारे में बताते हुए महाराज ने कहा कि इसका जो भी श्रवण करता है उसे भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है।
महिलाओं की रही भारी भीड़
श्रीमद् भागवत कथा सुनने के लिए महिलाऐं दूर-दूर से पधार रही है। आयोजन समिति से जुड़े गोपाल अग्रवाल ने बताया कि महिलाओं की बड़ती संख्या को देखते हुए टैण्ट का आकार और बढ़ाया गया है। साथ ही हवा, पानी का विशेष प्रबंध किया गया है। व्यवस्थाओं को बनाने के लिए समिति के करीब 150 कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं।
कथा स्थल पर मिल रहा सद् साहित्य, लाभकारी औषधी
शरीर की आदि-व्याधि को दूर करने के लिए औषधियां और मन की व्याधि को दूर करने के लिए कथा स्थल पर सद् साहित्य का प्रबंध किया गया है। कथा स्थल के बाहर साहित्य की स्टालें सजी हैं। इसके अलावा पूजन सामग्री एवं भगवान के वस्त्र और आभूषणों की दुकानें सजी है।