जयपुर। राजस्थान के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। उन्हें बढ़ा हुआ 10 प्रतिशत मानदेय आगामी 1 अप्रैल से मिलेगा। हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में उनका मानदेय 10 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की थी। उसके बाद राज्य के वित्त विभाग ने इसकी प्रक्रिया तेज कर दी है। वित्त विभाग द्वारा संबंधित विभागों को गाइडलाइन भेजने के बाद यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राजस्थान में मानदेयकर्मियों के रूप में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी, प्रेरक, मिड डे मील कुक कम हेल्पर, लांगरी, ग्राम रोजगार सहायक, ग्राम पंचायत सहायक, शिक्षाकर्मी, पैरा टीचर्स आदि सेवाएं दे रहे हैं। कोरोना काल में भी इन कार्मिकों ने विशेष योगदान दिया है। 1 अप्रैल से इन मानदेयकर्मियों के मानदेय में 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी।
नियमित करने का किया गया था वादा
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में प्रदेश में कार्यरत संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। इसके लिए राज्य सरकार ने ऊर्जा मंत्री डॉ। बीडी कल्ला की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब-कमेटी का गठन भी किया था। इसकी सचिवालय में आधा दर्जन मैराथन बैठकें भी हुईं। कैबिनेट सब-कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार की घोषणा के 2 साल बाद भी संविदाकर्मियों को नियमित करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। नियमितीकरण की मांग को लेकर संविदाकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था।
सब-कमेटी की रिपोर्ट इंतजार
संविदाकर्मियों को कैबिनेट सब-कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही राज्य सरकार ने संविदाकर्मियों का मानदेय 10 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा कर दी है। संविदा कर्मचारी संगठनों की मानें तो प्रदेश में करीब 4।30 लाख संविदाकर्मी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। वसुंधरा सरकार ने 2 जनवरी 2014 को संविदाकर्मियों की समस्याओं के निराकरण के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। हालांकि, वसुंधरा सरकार ने संविदाकर्मियों के मामले में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया था और उनको नियमित करने से साफ इंकार कर दिया था।