देवेन्द्रवाणी न्यूज़,बीकानेर। जिला प्रशासन शहर की सूरत व शिरत बदलने के लिये कई नवाचार कर रहा है। चाहे संभागीय आयुक्त हो या जिला कलक्टर बैठकों में शहर की प्रमुख समस्याओं, सरकारी कार्यालयों के ढर्रे में सुधार और शहर की साफ-सफाई, रोडलाइटों व अन्य समस्याओं को लेकर खासे दिशा निर्देश देते है। इसके बाद इन प्रमुख मुद्दों के जमीनी हालात में कोई बदलाव आया या नहीं, इसकी पड़ताल देवेन्द्रवाणी ने की तो सामने आया कि अब तक सफाई व्यवस्था, देर रात तक शराब बिक्री, हैरिटेज वॉक और सरकारी कार्यालयों ढर्रे की पड़ताल करने के बाद शहर की रोडलाइटों के हालात जस के तस है। रात को बीकानेर शहर में मुख्य मार्गों से लेकर मोहल्लों की गलियों तक में अंधेरा रहता है। हर महीने रोडलाइटों की देखभाल, मरम्मत और लाइटें बदलने पर लाखों रुपए का खर्च किए जा रहे हैं। नगर निगम की ओर से ठेकेदारों से यह कार्य कराने पर मोटी राशि खर्च करने के बावजूद अधिकतर रोडलाइटें बंद पड़ी हैं। शहर की व्यास कॉलोनी, सादुल कॉलोनी, समता नगर, मुक्ताप्रसाद, मुरलीधर व्यास कॉलोनी जैसी पॉश कॉलोनियों में भी रोड लाइटें खराब पड़ी है अथवा बंद पड़ी है। यहीं नहीं शहर के प्रमुख मार्गों पर कचरे के ढेर प्रशासनिक सुधार व्यवस्था को चिढ़ा रहे है। मंजर यह है कि दावे खूब किये जाते है,लेकिन हालात नहीं बदल रहे है।
लग रहा प्रश्नचिह्न ?
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद ने बंद पड़ी रोडलाइटों को तुरंत सही करने के निर्देश दिए थे। उर्जा मंत्री बीकानेर जिले के है। इसके बाद भी शहर में रात को अंधेरा रहना शासन और प्रशासन दोनों पर सवाल खड़े करता है।
अंधेरे का फायदा अपराधिक प्रवृत्ति के लोग उठा रहे हैं। रात को राहगीरों से लूटपाट और मारपीट कर छीना-झपटी की घटनाएं हो रही हैं। साथ ही दुकानों और घरों में चोरी-सेंधमारी की वारदात हो रही है। जिला कलक्टर के आदेशों के बाद भी शहर में रात को सड़कों पर रोशनी के व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। हालांकि पब्लिक पार्क में जरूर रोशनी रहने लगी है।
तीन मंत्री,चार बोर्ड अध्यक्ष
हालात यह है कि जिले में एक केन्द्रीय मंत्री,दो प्रदेश सरकार में मंत्री और चार बोर्ड अध्यक्ष होने के बाद भी शहर के हालात में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। हालात तो यह है कि इन मंत्रियों के खुद के निवास स्थानों के पास भी हालात बद से बदतर है। लेकिन ये सभी मंत्री महज खानापूर्ति करने के अलावा ओर कुछ नहीं कर पा रहे है। जिससे जनता में रोष है और वे चुनाव का इंतजार कर रहे है। लोगों का कहना है कि प्रशासन के अधिकारी सरकारी लीक पीट रहे है और मंत्री थोथी वाहीवाही लूटने में लगे है। जबकि पूरा शहर उनसे आस लगाएं बैठा है कि बीकानेर के भाग्य का सितारा चमकेगा। परन्तु चार साल का समय बीत जाने के बाद भी बीकानेरवासियों की आस अब धूमिल होती जा रही है। हां चुनावी वर्ष में वोट बटोरने के लिये एक बार फिर कुछ समय के लिये जरूर शहर की इन समस्याओं को अनलॉक किया जा सकता है।